कोरबा। आरटीओ द्वारा चलाए जा रहे प्रदूषण जांच की मुहिम में आम लोगों पर कार्रवाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर शासन प्रशासन और पुलिस विभाग की गाड़ियों को प्रदूषण टेस्ट से दूर रखा जा रहा है। जिले में सभी सरकारी विभागों में 150 से अधिक वाहन हैं।
ऐसा ही हाल जिले के रसूखदारों का भी है। यहां पर वायु प्रदूषण के लिए रसूखदारों की गाड़ियों का टेस्ट नहीं होता। प्रदूषण मापने के लिए केवल आम जनता के वाहनों की ही चेकिंग होती है। अंधाधुंध पेड़ कटाई और वाहनों से निकलते जहरीले धुएं से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इस पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसे लेकर आरटीओ व पुलिस आम आदमी के वाहनों की प्रदूषण जांच तो कर रही, लेकिन सरकारी अफसरों और रसूखदारों के कारों की जांच नहीं की जा रही। रसूखदारों के कारों को तो रोकने तक से पुलिस कर्मी घबराते हैं।
गाडिय़ों के धुएं से हो रहीं बीमारियां
गाडिय़ों से निकलने वाले जहरीले धुएं से लोगों को कई प्रकार की बीमारी हो रही है। शहर की ज्यादतर सरकारी गाडिय़ों की प्रदूषण जांच नहीं की गई है। नियमानुसार प्रदूषण जांच के बाद सब कुछ सही पाने पर गाडिय़ों के शीशे में प्रदूषण जांच का स्टिकर लगाया जाता है। अगर गाड़ी मानकों पर खरी नहीं उतरती तो उसे बदलने या फिर प्रदूषण मानकों के अनुरूप करने के लिए कहा जाता है। इसमें जुर्माने और कार्रवाई का भी प्रावधान है।