korba .दीया बनाकर दीपवली उत्सव में उजाले का रंग भरने वाले कुम्हार कारीगरों की आर्थिक स्थिति पहले से ही तंगहाल है। गौण खनिज की परिवहन दर बढ़ने से दीए की जी लागत बढ़ गई है। इससे कुम्हारों की चिंता बढ़ गई है। बीते वर्ष तक प्रति ट्रेक्टर मिट्टी कीमत 1000 थी वह बढ़कर 1400 रूपये हो गई है। कोरोना काल मे पहले से आर्थिक संकट की मार झेल रहे कारीगारो के लिए गौण खनिज की कीमत में इजाफा दोहरी मार साबित हो रही है।

दीपावली पर्व की निकटता को देखते हुए कुम्हार कारीगरों ने दीया बनाना शुरू कर दिया है, लेकिन उनके उत्साह पर मिट्टी की मंहगाई उनके आशाओं पर पानी फेर दिया है। कुम्हारों की कारीगरी मिट्टी पर निर्भर है। मिट्टी की कीमत पर अब महंगाई भारी पड़ने लगा है। कुम्हारों का  कहना है कि दीया तैयार करने के लिए बीते वर्ष तक एक ट्रेक्टर मिट्टी के लिए हजार रूपये ही खर्च कर रहे थे अब  डेढ़ हजार रूपये में खरीदी करनी पड़ रही है। दीया, धूपावली, कलश आदि तैयार करने के लिए आसपास मिट्टी नही है। ऐसे में भाड़ा भी अधिक पड़ जाता है। वही  निगम प्रशासन की ओर कुम्हार कारीगरों के लिए खदान चिन्हाकित किया जाना चाहिए। साथ उनके लिए रायल्टी में भी रियायत दिया जाना चाहिए।