न्यूज डेस्क। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्राने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर की आंध्र प्रदेश के नए राज्यपाल के रूप में नियुक्ति की निंदा की और पूर्व जज द्वारा स्वीकार करने को बेशर्म करार दिया है. बता दें कि जस्टिस नजीर की सेवानिवृत्ति के 40 दिनों के भीतर नियुक्ति को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. वह उस पांच-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिन्होंने नवंबर 2019 में अयोध्या राम जन्मभूमि मामले का फैसला किया था. उनकी नियुक्ति को लेकर महुआ मोइत्रा सहित कांग्रेस के नेताओं ने निशाना साधा है.
बता दें कि जस्टिस नजीर उस पीठ की भी अध्यक्षता की थी, जिसने 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को बरकरार रखा था. इसके साथ ही न्यायमूर्ति नजीर उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने की आजादी के अधिकार में और प्रतिबंध जोड़े जाने को लेकर फैसला सुनाया था.
Yet another SC judge appointed governor less than 2 months after retirement.
Majoritarian govt doesn’t care about perception but how shameless are you, MiLord to accept it?
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) February 13, 2023
महुआ मोइत्रा ने पूर्व जज को राज्यपाल बनाये जाने पर कसा तंज
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को ट्वीट किया, एक और सुप्रीम कोर्ट के जज को सेवानिवृत्ति के 2 महीने से भी कम समय में राज्यपाल नियुक्त किया. बहुसंख्यक सरकार को धारणा की परवाह नहीं है लेकिन आप इसे स्वीकार करने के लिए कितने बेशर्म हैं? . सिर्फ टीएमसी ही नहीं, यहां तक कि कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में जस्टिस नजीर की नियुक्ति की आलोचना की है.
जयराम रमेश ने बीजेपी को दिलाई अरुण जेटली की बातों की याद
Adequate proof of this in the past 3-4 years for sure https://t.co/33TZaGKr8x
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 12, 2023
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने ट्विटर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का एक वीडियो साझा किया, जिसे 2012 में यह कहते हुए सुना गया था कि सेवानिवृत्ति से पहले के निर्णय सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों से प्रभावित होते हैं. रमेश ने वीडियो के साथ ट्वीट किया, “निश्चित रूप से पिछले 3-4 वर्षों में इसके पर्याप्त सबूत हैं.” कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “दुख की बात है कि आपके (भाजपा) नेताओं में से एक अब हमारे साथ नहीं रहे, अरुण जेटली ने 5 सितंबर, 2013 को सदन में और बाहर कई बार कहा कि ‘एक पद की इच्छा- सेवानिवृत्ति की नौकरी पूर्व-सेवानिवृत्ति निर्णयों को प्रभावित करती है. यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है.”