कॉन्स्टेबल ने मांगी थी 50 रुपये की घूस, बर्खास्तगी के बाद 16 साल चला केस; अब HC ने सुनाया ये फैसला

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न्यूज डेस्क। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने 50 रुपये की घूस (Bribe) लेने के आरोपी कांस्टेबल को राहत देने से साफ इनकार कर दिया है. घूसखोरी का ये मामला (Delhi Bribery Case) दिल्ली में 2006 में सामने आया था. आरोपी कांस्टेबल की ड्यूटी उस वक्त संसद भवन के नजदीक लगी थी.

हाईकोर्ट का राहत देने से इनकार

कोर्ट ने कांस्टेबल बर्खास्तगी की सजा को बरकरार रखते हुए इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज दी, मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा, ‘बर्खास्तगी की सजा आरोपित कांस्टेबल के अपराध के लिए ‘निश्चित रूप से चौंकाने वाली नहीं है. रिश्वत या घूस की मांग अपने आप में एक बहुत ही गंभीर आरोप है. आरोपी ने एक ड्राइवर से रिश्वत की मांग की थी और विभागीय जांच में भी इसकी पुष्टि हुई थी.’

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) के आदेश के खिलाफ याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये बस संयोग की बात है कि आरोपी उस दिन अपने एसएचओ को देखकर मौके से फरार हो गया था. इस टिप्पणी के बाद हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए ये सख्त टिप्पणी की.

क्या था मामला?

30 अप्रैल 2006 को पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने के सिपाही राम किशन ने चार छोटी बकरियों से लदी एक मारुति वैन को रोका और चालक से 50 रुपये की मांग की थी. ड्राइवर उसे 50 रुपये देने को तैयार था, क्योंकि उसे कांस्टेबल ने कथित तौर पर धमकाया गया था. उसी दौरान तिलक नगर थाने के एसएचओ को अपनी ओर आता देखकर कांंस्टेबल किशन अपनी सरकारी मोटरसाइकिल फरार हो लेकर वहां से फरार हो गया था. वहीं चालक की शिकायत पर शुरू की गई विभागीय जांच के बाद उसे दोषी पाया गया और उले जून 2007 में पुलिस की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था.