कोरबा : दिन के उजाले में भी पावर हब के घरों में अंधेरा, जनप्रतिनिधि बेफिक्र तो विद्युत कंपनी बेपरवाह, बिजली की आंख-मिचौली से जनता हुई मजबूर

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0 आम जनों की बत्ती गुल पर विद्युत विभाग का मीटर चालू, लोग हो रहे परेशान और बेपरवाह हुए पावर हब के अफसर

कोरबा। दिन के उजाले में भी पावर हब कहे जाने वाले कोरबा के घरों में आए दिन अंधेरा कायम है। विद्युत कंपनी के बेपरवाह अफसरों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने आम जनता को मजबूर बना दिया है। लोग आए दिन बिजली की आंख-मिचौली से परेशान हैं। विद्युत कंपनी का मीटर पूरी रफ्तार पर दौड़ रहा हो पर मौसम का मिजाज बदला नहीं कि लोग घंटों बिजली गुल की समस्या से हर रोज जूझ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के साथ देश के अनेक राज्यों को रोशन करने ऊर्जानगरी कोरबा पावर हब का तमगा दिया गया है। बावजूद इसके दिया तले अंधेरा की कहावत को चरितार्थ करते हुए कोरबा की आम जनता के घर दिन के समय भी अक्सर अंधेरे में डूबे देखे जा सकते हैं। जिस कोरबा में कोयला और पानी की कोई कमी नहीं है और इन संसाधनों का अनवरत दोहन कर बिजली उत्पादन में साल-दर-साल नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। बावजूद इसके कोरबा की जनता बिजली की बुनियादी सुविधा के लिए परेशानियों से गुजरने विवश है। शहर की विद्युत वितरण कंपनी की व्यवस्था इतनी लाचार हो चली है कि अब लोग इन्वर्टर की ओर रुख कर रहे हैं। विद्युत आपूर्ति सही ढंग से नहीं हो रही है, लाइट गुल होने से परेशान उपभोक्ता अब घर में बैटरी लगाना शुरू कर दिए हैं लेकिन इन्वर्टर और बैटरी भी घंटो बिजली बंद रहे से एक समय के बाद फैल हो जा रहे हैं। जरा सी हवा चली नहीं कि बिजली गुल हो जाती है। अनेक बार तो हवा भी नहीं चलती लेकिन बिजली गुल रहती है। ऐसा आए दिन हो रहा है। मौसम की बेरुखी से भड़कती उमस में पसीने से तरबतर लोगों को रात में भी घंटो बिजली नहीं मिल रही।

अनगिनत संयंत्र व हजारों मेगावाट बिजली, फिर भी दिया तले अंधेरा

कोरबा शहर में जहां बिजली बनाने के संयंत्र स्थापित हैं, बालको, एनटीपीसी,सीएसईबी, लैंको और एसीबी संयंत्र स्थापित हैं, जहां बिजली बनती है, जहाँ की बिजली से अन्य राज्य रौशन होते है लेकिन कोरबा शहर के लोग अपने ही जिले में सुचारू बिजली आपूर्ति से कोसो दूर हैं। कभी भी 3 से 4 घण्टे तक रात-रात भर लाइन बंद हो जाना तो आम बात हो गयी हैं। कभी बिजली प्लांट से तो कभी कही कुछ रखरखाव के नाम से घंटो लाइट बंद कर दी जाती है। अंचल में सब भगवान भरोसे चल रहा है। विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी भी समझ नहीं पा रहे हैं कि लाइट कहां से बंद हो जा रही है। बिजली की इस आंख-मिचौली से लोगो की समस्या काफी बढ़ गई है। एक और जहां प्रदेश विद्युत उत्पादन क्षमता में देश में नंबर वन में आ गया है और अनेक कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं लेकिन धरातल में सुचारू और निर्बाध वितरण की हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है।

वैसे तो बड़े-बड़े इंजीनियर-तकनीशियन, फिर भी पता ही नहीं चलता कि फॉल्ट कहां है

 

वैसे तो विद्युत वितरण विभाग में बड़े-बड़े इंजीनियर और तकनीशियन कार्यरत हैं, जिन्होंने बड़ी पढ़ाई और कठिन परीक्षा गुजरजर सर्विस हासिल की, बावजूद इसके बिजली गुल होने पर फॉल्ट ढूंढने में उनके पसीने छूट जाते हैं। खराबी दूर करने कई-कई दिन लग जाते हैं और इस बीच आम जन परेशान होते रहते हैं। यह हाल हर साल बारिश के मौसम में देखने को मिलता है। बरसात का मौसम देर से शुरू हुआ चार दिन बारिश भी हुई। किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और लोग भी ठंडक महसूस करने लगे। लेकिन इसके बाद बारिश बंद होने से पुन: उमस बढ़ गयी है तो लोग परेशान हो गए हैं। ऐसे में बिजली की आंख-मिचौली के कारण राहत नहीं मिल पा रही है। दिन में तो एक बार चल भी जाता है लेकिन रात में भी अव्यवस्था अंचल को चैन की नींद सोने नहीं दे रही। शहर से लेकर गांव तक सब स्थानों का यही हाल है।

जनप्रतिनिधि उदासीनता से जनता हो रही लाचार, कंट्रोल रूम में कॉल ही नहीं उठाते कर्मी

 

इन समस्याओं के बीच जिन पर जनता की जरूरतों और समस्याओं को लेकर आवाज उठाने का जिम्मा है, वही जनप्रतिनिधि उदसीन नजर आ रहे हैं। परिणाम यह कि जिन्हें अपने अमूल्य वोट देकर चुना, उनके बेपरवाह रवैये से जनता बेबस और लाचार महसूस कर रही है। शहर से लेकर गांव तक की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो रही है, आए दिन हाईटेंशन तार भी टूट रहे हैं। लोग लो वोल्टेज की समस्या से भी जूझ रहे हैं। ऐसा लग रहा हैं की विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी मांग के अनुरूप आपूर्ति की व्यवस्था को सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं और विद्युत विभाग के मैदानी कर्मचारियों की लापरवाही और उदासीनता के कारण सही कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इसमें यह कहना गलत नहीं होगा कि संधारण के कार्यों में मनमानी भी विद्युत अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार है। रात में तो अधिकारी फोन ही नहीं उठाते और कंट्रोल रूम का फोन कवरेज से बाहर मिलता है।