The Duniyadari: कोरबा- औद्योगिक जिला कोरबा में अवैध रेत खनन और उसके परिवहन का गोरखधंधा लगातार बढ़ता जा रहा है। हसदेव और अहिरन नदी से बेतहाशा रेत निकाली जा रही है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी खजाने को भी करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। शासन-प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के कारण यह अवैध कारोबार अपने चरम पर है।
हाईकोर्ट के आदेश भी हो रहे नजरअंदाज
राज्य सरकार और हाईकोर्ट ने कई बार अवैध खनन पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए हैं, लेकिन प्रशासन सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रह गया है। 28 मार्च 2025 को छत्तीसगढ़ शासन के खनिज विभाग द्वारा जारी आदेश में साफ कहा गया कि अवैध खनन से राज्य को आर्थिक क्षति हो रही है। पूर्व मंत्री ननकी राम कंवर ने भी इस मामले को लेकर गंभीर चिंता जताई थी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
दिन-रात जारी रेत चोरी, JCB और ट्रैक्टर से खुलेआम खुदाई
कोरबा में नदियों से दिन-रात JCB और ट्रैक्टरों की मदद से रेत निकाली जा रही है। कुदुरमाल, बांकीमोंगरा, कुसमुंडा, भिलाईखुर्द समेत कई इलाकों में धड़ल्ले से अवैध भंडारण हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कुदुरमाल में रेत माफिया 200 रुपए प्रति ट्रैक्टर ‘एंट्री फीस’ तक वसूल रहे हैं। यह अवैध कारोबार बिना किसी रोक-टोक के फल-फूल रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि इसमें बड़े रसूखदारों का हाथ है।
सरकार को करोड़ों का चूना, जनता का बढ़ता रोष
अवैध रेत खनन से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। रॉयल्टी चोरी के कारण राज्य की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा खनन माफिया की जेब में जा रहा है। यदि जल्द ही इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो यह समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है।