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द दुनियादारी ।कोरबा प्रवासी मजदूरों, कोरोना के हल्के मरीजों और संभावित लक्षण वाले मरीजों को काढ़ा पिलाने के लिए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास मद से 50 लाख रुपये का अनुमोदन लिया है. जून महीने में प्रभारी मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम की अध्यक्षता वाली जिला खनिज न्यास संस्थान की शासी परिषद की बैठक में काढ़ा पिलाने के लिए आयुर्वेद विभाग को 50 लाख रुपये के भारी-भरकम राशि की स्वीकृति दी गई है. अब इस राशि के खर्च को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. इन्हीं में से एक उपाय काढ़ा के तौर पर उभर कर सामने आया था. आयुर्वेद चिकित्सकों ने इसे इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहद उपयोगी करार दिया है. फिलहाल कई घरों में भी लोग सुबह-शाम काढ़ा बना रहे हैं. इसका सेवन भी कर रहे हैं. काढे़ की उपयोगिता को देखते हुए जिला प्रशासन ने खनिज न्यास के शासी परिषद में क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठहरे मजदूरों के साथ ही कोरोना के संभावित लक्षण और कोविड-19 अस्पतालों में भर्ती मरीजों को काढ़ा देने की योजना बनाई गई. जिसके लिए 50 लाख रुपयों का प्रावधान किया गया पारयोजना में हुई देरी तो उठे सवाल50 लाख की राशि को काढ़ा बनाकर वितरित करने की प्रक्रिया में भी काफी देर हो चुकी है. क्वॉरेंटाइन सेंटर फिलहाल खाली हो चुके हैं. प्रवासी मजदूर ने भी क्वॉरेंटाइन अवधि पूरी कर घर लौट चुके हैं. हालांकि मरीजों की संख्या जरूर बढ़ रही है. लेकिन पॉजिटिव मरीजों को भी घर पर ही रहकर होम आइसोलेशन की अनुमति दी जाने लगी है. जिले में ज्यादातर कोरोना पॉजिटिव मरीज घर पर रहकर ही होम आइसोलेशन के नियमों का पालन कर रहे हैं. ऐसे में यदि काढ़ा पिलाने की योजना को साकार करना है तो आयुर्वेद विभाग और प्रशासन को मरीज और संभावित लक्षण वाले मरीजों तक पहुंच कर उन्हें काढ़ा पिलाना होगा. जो कि कोरोना काल के दौर में व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं लगता है. ऐसे में काढ़ा पिलाने वाली प्रशासन के इस योजना पर सवाल उठ रहे हैं.