कोरबा। पावर प्लांटों के उत्सर्जित राख को निर्धारित निविदा दर में नहीं फेंक पाने वाले ठेकेदारों को कोविड 19 का बहाना बनाकर अफसर बचाने में तुले है। निविदा के अनुसार 5 करोड़ में राख को फेंका जाना था लेकिन घाटे का सौदा मानते हुए ठेकेदार अधिकारियो से सांठगांठ कर निविदा निरस्त करा ली है। जबकि नियम के तहत ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड किये जाने का प्रावधान है। बाउजूद इसके अधिकारी ठेकेदारों की सुरक्षा में जुट गए है। जिससे बड़े झोल झेल होने का अंदेशा से इंकार नहीं किया जा सकता।
मामला यह है की राज्य सरकार के पॉवर प्लांटों से उत्सर्जित होने वाले राख का निष्पादन करने समय समय पर निविदाएं जारी की जाती है। लेकिन निविदा लेकर भी जिन ठेकेदारों ने काम नहीं किया वे अब सेफ जोन में आकर नियम को मथेंगा दिखा रहे है। मामले में आरोप लगाते हुए एनएसयूआई के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र मेहता ने जाँच की मांग की है। उन्होंने बताया कि विद्युत कम्पनी सफेद हाथी साबित हो रहा है। विभाग में कार्य नियम एवं कानून कायदे को ताक में रखकर किये रहे हैं। उन्होंने बताया कि आठ माह पूर्व सीएसपीजीसीएल एक करोड़ से लेकर 5 करोड़ तक राख फेंकने की निविदाओं निकला था। जिसमे ठेकेदारों ने अपने रिस्क पर बोली लगाकर इन्हें 50% से कम दर पर कार्य करने कम्पनी से अनुबंध किया। अनुबंध के बाद देखा कि इस रेट पर कार्य किया गया तो घाटे का सौदा होगा। तब ठेकेदारों ने कोविड-19 का हवाला देकर अधिकारियों को अपने झांसे में लेकर अमानत राशि राजसात करते हुए अनुबंध को निरस्त करा लिया। नियमानुसार वास्तव में उन ठेकेदारों को 2 वर्ष के लिए ब्लेक लिस्टेड किया जाना था, परंतु इन रसजदे ठेकेदारों पर नियम लागु क्यों नहीं किया गे यह समझ से परे है। जिन ठेकेदारों ने कोविड-19 हवाला देकर निविदाओं को कैंसिल कराया था उन्ही ठेकेदारों ने फिर निविदा में भाग लेकर विभाग के अन्य ठेकेदारों को मुँह चिढ़ा रहे है। राजेंद्र मेहता ने विद्युत् कम्पनी के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि फ्लाई ऐश के अधिकांश कार्यों में स्टीमेट में भरी झोलझाल है स्टीमेट बनता कुछ है कार्य और काम कुछ कराया जाता है उन्होंने कम्पनी के अधिकारियो पर सांठगांठ आरोप लगते हुए फ्लाई एश ट्रांसपोर्टिंग के कार्यो की जाँच कर कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखा है।