कोरबा। आदिवासी विभाग भले ही ग्रामीण अंचल के वनवासियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए बना हो पर विभाग के अधिकारी निर्माण कार्य में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे है। भले ही उनके पास इंजीनियर व एसडीओ न हो फिर भी निर्माण कार्य जिम्मा उठाकर सबको हैरत में डाल रहे है।यही वजह है कि गणित के शिक्षक मूल्यांकन करते है और प्रभार के यानी दूसरे जिले के एसडीओ सत्यापन कर निर्माण कार्य को मूर्त रूप दे रहे है।
जाहिर सी बात है नियम से परे निर्माण कार्यो में सरकारी धन का न केवल दुरुपयोग हो रहा है बल्कि गुणवत्ता से परे निर्माण कार्य को प्रश्रय मिल रहा है यह सब आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों पर ही नही बल्कि उच्च अधिकारियों की कृपा दृष्टि में हो रही है।आदिवासी विकास विभाग खनिज न्यासमद के नाम से किस तरह बदनाम है यह किसी से छिपा हुआ नही है। एक पूर्व सहायक आयुक्त पर जांच करवाई जारी है।
आदिवासी विभाग कोरबा अपने मूल कार्यो से भटककर निर्माण कार्यो तक सीमित रह गया है। जानकारी के मुताबिक निर्माण कार्यो का जिम्मा उसी एजेंसी को दिया जाता है जंहा इंजीनियर से लेकर निर्माण कार्य से संबंधित सेटअप होता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से आदिवासी विभाग बड़े बड़े निर्माण कार्यों का एजेंसी बनकर सबका चौका दिया है। यही नही जिस कार्य को दूसरे निर्माण एजेंसी गुणवत्ता युक्त भवन निर्माण काम राशि मे करते है तो वही भवन आदिवासी विभाग डेड गुना राशि तैयार करता है।
विभाग का उद्देश्य
जनजातीय कार्य विभाग, प्रदेश सरकार का एक प्रमुख विभाग है, जिसे जनजाति वर्गों के विकास एवं हित संरक्षण का दायित्व सौंपा गया है। इस दायित्व के निर्वहन हेतु विभाग जहां एक ओर अपने स्तर पर शैक्षणिक एवं आर्थिक उत्थान के साथ अनुपूरक कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी उपयोजना कार्यक्रम तथा विशेष घटक योजना के संबंध में नोडल विभाग के नाते विभिन्न विकास विभागों के मध्य समन्वयक की भूमिका निभाते हुए योजनाओं के बजट प्रावधान एवं अनुश्रवण का कार्य भी कर रहा है।