भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ का प्रथम मियावकी तकनीक से विकसित मिनी फ़ॉरेस्ट का आज उद्घाटन पूर्व भानुप्रतापपुर वनमंडल में किया गया। मुख्य अतिथि मनोज मंडावी भानुप्रतापपुर विधायक और मनीष कश्यप डी॰एफ़॰ओ॰ पूर्व भानुप्रतापपुर ने भानुप्रतापपुर के डिपो केम्पस में इस नई तकनीक से रोपण का उद्घाटन किया। इस तकनीक से 20 अलग अलग जंगली प्रजाति के 11000 पौधो का 1.25 एकड़ ज़मीन में सिंचित रोपण किया गया है।


मियावकी तकनीक से लगाया गया रोपण नॉर्मल प्लांटेसन से भिन्न होता है। इसमें पौधों को बहुत पास पास लगाया जाता है जिससे 1-2 साल की बढत के बाद सूर्य की प्रकाश ज़मीन तक नही पहुँच पाती है और ज़मीन की आद्रता और ह्यूमस बना रहता है और घास फूस भी नही उगता । इससे पौधों में अच्छी ग्रोथ होता है। पहले ज़मीन को एक मीटर तक खुदाई करते हैं फिर मिट्टी को अच्छे से मिक्स करके खाद और भूसा मिलाते है। फिर पौधारोपण करके ज़मीन को पैरा से ढँक देते हैं। इससे ज़मीन में नमी और उपजाऊ पन बना रहता है जिससे पौधा जल्दी बढ़ते हैं। जंगल की तरह प्राकृतिक माहोल देने की कोशिश की जाती है इस तकनीक में। पैरा भी सङ के खाद कि तरह काम करते है।


मियावकी तकनीक से उगाए गए पौधे 10 गुना अधिक तेज़ी से बढ़ते हैं। 30 गुना ज़्यादा घनत्व होता है। 30 गुना अधिक कार्बन डाई आक्सायड सोखते हैं और हवा और ध्वनि प्रदूषण को रोकते हैं। 20 साल में यह पूरी तरह जंगल का रूप ले लेता है। यह रोपण शहरी क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी। जहाँ प्लांटेसन के लिए जगह कम है और प्रदूषण ज़्यादा। बैंगलोर और मुंबई जैसे बड़े शहरों में इस तकनीक से अर्बन फ़ॉरेस्ट बनाए गए हैं जो सफल हैं।