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छत्तीसगढ़ ।राज्य विद्युत मंडल आरक्षित वर्ग अधिकारी/कर्मचारी संघ के आह्वान पर आयोजित सामूहिक अवकाश आंदोलन के समर्थन में आरक्षित वर्ग अधिकारी/कर्मचारी संघ की मड़वा इकाई के 250-300 अधिकारी-कर्मचारी अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत गृह के मुख्य द्वार पर आंदोलनरत रहे। आरक्षित वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ के मड़वा ईकाई के अध्यक्ष महेंद्र पाल घृतलहरे ने कहा कि छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनी द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश की गलत व्याख्या कर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोकसेवकों की वरिष्ठता सूची को दरकिनार करते हुए सामान्य वर्ग के कनिष्ठ लोकसेवकों को पदोन्नत कर न्यायालय के आदेश की अवहेलना की जा रही है।
आरक्षित वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ के मड़वा ईकाई के उपाध्यक्ष नीरज  वैश्य ने कहा कि सामूहिक अवकाश आंदोलन से विद्युत संयंत्र के संचारण, संधारण एवं कार्यालय कार्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। आरक्षित वर्ग अधिकारी/कर्मचारी संघ की मांगों पर यदि पाॅवर कंपनी प्रबंधन ने समुचित निर्णय नहीं लिया तो संघ द्वारा आगामी दिनों में व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
आरक्षित वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संघ के मड़वा ईकाई के अध्यक्ष महेंद्र पाल घृतलहरे ने बताया कि छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनी में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में दिनांक 09.12.2019 को दिए गए स्थगन आदेश के बाद से ही माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश कि नियमित पदोन्नति जारी रहेगी, जिसका स्पष्टीकरण माननीय न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 08.01.2020 को भी स्पष्ट किया है, की गलत व्याख्या कर पाॅवर कंपनी ने पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के वरिष्ठ लोकसेवकों को पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है। वर्ष 2020 के शुरूवाती छः महिनांे में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोकसेवकों को वरिष्ठता सूची में उनकी वरिष्ठता को दरकिनार करते हुए सामान्य वर्ग के कनिष्ठ लोकसेवकों को पदोन्नत कर न्यायालय के आदेशों के अव्हेलना करते रहे, जब संघ ने इन बातांे को विभिन्न मंत्रियों एवं माननीय मुख्यमंत्री जी के लगातार संपर्क कर संज्ञान में लाया गया तब कही छःमाह पश्चात् तत्कालीन अध्यक्ष महोदय छ.ग. स्टेट पावर कंपनी श्री सुब्रत साहू साहब ने नियम के विरूद्ध किये जा रहे सभी पदोन्नति पर रोक लगा दी, अब जब हमारे नये अध्यक्ष महोदय श्री अंकित आनंद के पदभार संभालने के उपरांन्त से ही उन पर पदोन्नति दिये जाने हेतु लगातार दबाव बनाया गया जिसके फलस्वरूप उन्हांेने अपने अधिकार से परे जाकर बोर्ड आॅफ डायरेक्टर में ऐसा रेगुलेशन पास कराया जिसका आदेश दिनांक 19.03.2021 को जारी किया गया जो कि उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, इसके साथ ही माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर छ.ग. के आदेश दिनांक 09.12.2019 एवं दिनांक 08.01.2020 की भी अवमानना है।

उल्लेखनीय है कि छ.ग. शासन के द्वारा पदोन्नति नियम हेतु दिनांक 23.10.2019 को अध्यादेश जारी कर दिनांक 30.10.2019 को पदोन्नति हेतु अनूसूचित जाति हेतु 13 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति हेतु       32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था, जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 09.12.2019 को स्टे लगा दिया न कि, उसे अपास्त किया अर्थात् अनुसचित जाति/जनजातियों के पदांे पर स्थगन दिया गया।

अतः इन पदों पर कोई पदोन्नति नही हो सकेगी परन्तु साथ ही साथ यह व्यवस्था दी गई की वरिष्ठता के आधार पर रेगुलर पदोन्नति जारी रहेगी अर्थात अनारक्षित पदों पर (जो कि किसी भी वर्ग के लिये आरक्षित नहीं है एवं इन पदांे पर वरिष्ठता के आधार पर किसी भी प्रवर्ग की पदोन्नति की जा सकती है) माननीय उच्च न्यायालय के इस व्यवस्था की गलत व्याख्या करते हुए पावर कंपनी के आदेश दिनांक 19.03.2021 के द्वारा जिन पदांे पर स्टे लगा हुआ है उन पदांे पर भी नियम विरूद्ध पदोन्नति का रास्ता साफ कर दिया साथ ही अनुसूचित जाति/जनजाति के लोकसेवकों के लिए वरिष्ठता सूची में वरिष्ठ है के 50 प्रतिशत केपिंग का आदेश जारी किया गया है जो कि संविधान के विरूद्ध एवं उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर है। यहाॅ पर यह बताना आवश्यक होगा कि अगर इस आदेश के तहत पदोन्नति की जाती है तो अनुसूचित जाति/जनजाति के कुछ लोकसेवक ऊपर के पदांे पर पदोन्नत हो पाएंगे जबकि निचले पदों पर 80 से 90 प्रतिशत रिक्त पदांे पर सामान्य वर्गों की पदोन्नति की जायेगी जो कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के साथ घोर अन्याय होगा।