सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा केस सामने आया है जिसे जानकर आपको शायद किसी फिल्म की कहानी लग सकती है। लेकिन यह सच है। एक 20 साल की लड़की ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। उसका कहना है वह अपनी मां की लड़ाई लड़ रही है। एक आईपीएस अधिकारी ने उसकी मां से शादी की थी, जबकि वे तलाकशुदा थे। सुप्रीम कोर्ट इसे पूरे मामले की सुनवाई को तैयार भी हो गया है। उच्चतम न्यायालय 20 साल की एक युवती की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है, जिसने अपने कानूनी अभिभावक और वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच के छत्तीसगढ़ सरकार के आदेश को चुनौती दी है। आइपीएस अधिकारी ने युवती की मां से कथित तौर पर शादी की थी, जबकि वह पहले से ही विवाहित थे। युवती की मां का देहांत हो चुका है। युवती ने दावा किया कि राज्य सरकार का अपमानजनक कदम उसके पिता और कानूनी अभिभावक के साथ हिसाब बराबर करने और उसकी मृत मां को अपमानित करने का प्रयास है।
यह है पूरा मामला
युवती ने अपनी याचिका में कहा कि उसका जन्म नौ दिसंबर, 2000 को डॉ एमएम के घर हुआ था। जब वह नौ महीने की थी, तब उसकी मां, जो तलाकशुदा थीं और मृत्युशैया पर थीं, ने उसे श्रीमती यूजी और श्री एमजी (पिता व कानूनी अभिभावक) को सौंप दिया। बाद में 30 जुलाई, 2003 को अनुमंडल मजिस्ट्रेट ने इसे मान्यता दी और 11 अक्टूबर, 2006 को एक परिवार अदालत ने भी इसे सही ठहराया। युवती ने दावा किया कि उसे अपने कानूनी अभिभावकों सहित पूरे परिवार से अपार स्नेह मिला है और अब वह एमबीबीएस कोर्स कर रही है। उसने कहा कि कोविड-19 के कारण वह दिल्ली में अपने परिवार के पास लौट आई। इस दौरान उसके पिता व कानूनी अभिभावक ने उसे राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित जांच के बारे में बताया। युवती ने अपनी याचिका में 14 अगस्त, 2020 के सरकारी आदेश को रद करने का अनुरोध किया है।
वकील का यह कहना है
युवती की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्तिं अशोक भूषण और एमआर शाह की पीठ ने नोटिस जारी किया और जांच की कार्यवाही पर एकतरफा रोक लगा दी।