कोरबा।दीपावली पर घर के मुख्य द्वार को सजाने के लिए अनेक सजावटी सामान के बीच छत्तीसगढ़ के धान की बाली से बनी झालर भी खूब पसंद की जा रही है। पूजा में धान का महत्व होने के चलते इसे लोग पूजन सामग्री के साथ खरीद रहे हैं। कई लोग अपने घर के मुख्य द्वार को सजाने के लिए भी धान की बाली की झालर खरीद रहे हैं।
पुराना बस स्टैंड और ट्रांसपोर्ट नगर चौक में धान की झालर बेचा जा रहा है। सड़क किनारे धान की बालियां बेच रहे युयक कहते है धनतेरस और दीपावली पर खूब झालर बिकती है। यह सुंदर दिखने के साथ ही अन्नदेवता का प्रतीक है। द्वार पर धान की बाली लगाने से घर हमेशा धनधान्य भरे रहने की मान्यता है।
मां लक्ष्मी की पूजा में फल, मिठाई के साथ धान रखना शुभदायी माना जाता है। गांव-गांव में पर्व विशेष पर हर घर में धान की बाली द्वार पर सजाने की परंपरा है। एक झालर की कीमत 25 से 30 रुपए है। धान की झालर का एक फायदा यह भी है कि त्योहार के बाद इसे पक्षियों को खिलाने के लिए छत, आंगन में बिखेर सकते हैं।
गावों में टांगने की परंपरा
धान का कटोरा माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में द्वार पर चिरई-चुगनी टांगने की परंपरा चली आ रही है। जब धान पककर तैयार हो जाता है तो धान काटने के बाद बालियों का झूमर बनाकर द्वार पर लगाया जाता है ताकि कौरैया, कबूतर, कोयल व अन्य पक्षी चिडिय़ा, गौरैया, कोयल आदि पक्षी दाना चुग सकें।