कोरबा। सावन की विदाई के बाद भादो लगते ही एक दिन की झड़ी से निगम की सड़कें इतनी चकाचक हुई जितनी सफाई में लाखो खर्च के बाद भी नहीं हुई। बारिश के पानी से सड़कों सारा कचरा इस कदर साफ हुआ है कि कई जगह पहाड़ बनकर तनकर निगम की सफाई व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहा है।
अच्छी बारिश ने दो बातों को प्रत्यक्ष रूप से सामने लाकर रख दिया है। तेज लहर से जहां सड़कों पर बिखरे कचरे साफ हुए हैं तो वही दूसरी ओर शहर की सफाई व्यवस्था की न सिर्फ ढोल खोल दी, बल्कि निगम की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगा दिया। शुक्रवार को हुई बारिश की वजह से नालियों का पानी सड़कों पर बहने लगा। नालियों की गंदगी सड़कों पर दिखने लगी। प्लास्टिक, पत्ते व अन्य कचरा सड़कों पर फैल गए। कुछ देर के बाद काफी कचरा उन्हीं नालियों में समा गया शहर की हर सड़क की स्थिति समान थी और गलियांबदहाल थी क्योंकि सारा कचरा पहाड़ के समान गलियों के सिरे पर जाकर खड़ा हो गया।
वैसे तो नगर निगम हर साल सफाई के स्वच्छ नगर निगम का तमगा हासिल कर लेता हैं हकीकत में सफाई सिर्फ ठेकेदार और अधिकारियों के बीच बंटवारे तक सिमट कर रह गई है। सावन के बिदाई और भादो के लगते ही झमाझम बारिश से सड़क का कचरा साफ हो गया हैं।
निगम बधाई की पात्र है कि उसकी बनाई चिकनी सड़के इतनी चकाचक हो गई है जैसे किसी बड़े मंत्री के आगमन के समय होता हैं। हां ये बात अलग है कि इस एक बारिश ने निगम के सड़क निर्माण की भी पोल खोल खोल कर रख दी है। करोड़ो की लागत से बनी सड़क से “मेरे देश की धरती सोना उगले…” की मानिंद गिट्टी उगल रहा है। वैसे तो निगम के सारे अधिकारी ईमानदारी का ऐसी पाठ पढ़ाते है जैसे निगम के सारे कामों में पारदर्शिता रहती हैं जबकि हकीकत तो कुछ और ही है लेकिन अभी सिर्फ सफाई और सड़क की बात करें तो सड़क की सफाई चकाचक है।