कोरबा। कोरबा से उरगा जाने वाले मार्ग में सड़क किनारे बिना प्लानिंग के पौधे लगा दिया और अब सड़क किनारे बन रहे नाली निर्माण से पौधे को उखाड़ना पड़ रहा तो वन विभाग उल्टा ठेकेदार से पौधे को शिफ्टिंग करने का चार्ज यानि हर्जाना मांग रहा है। सड़क की चौड़ाई के हिसाब से पहले ही लग रहा था कि पौधा का रोपड़ गलत जगह और गलत तरीके से लगाने का मामला उजागर हुआ था। उस समय वन विभाग का तर्क था , सड़क किनारे पौधे लगने से राहगीरों को छाया मिलगा , लेकिम उनका यह तर्क धरे के धरे रह गया और सड़क किनारे हो रहे नाली निर्माण में आधे से अधिक पौधे गायब हो गए है।
सरकारी धन का दुरूपयोग करना कोई वन विभाग से सीखे जंगल में वन जीवो के लिए तालाब बनाएंगे तो जंहा पानी नहीं रहता और तो और वन विभाग के एक भी ऐसा स्टाप डेम नहीं है जंहा से किसी को कोई लाभ मिल रहा हो। वजह साफ है बिना टेक्नीकल पर्सन के प्लानिनिग करना। हालिया मामला कोरबा से उरगा सड़क किनारे पौधा रोपने का जंहा लाखो खर्च के बाद पौधों को उखाड़ना पड़ रहा है। पौधारोपणी कर सड़क किनारे छायादार पेड़ों की मंशा पर पानी फिर गया है। कोरबा वनमंडल के प्रत्येक रेंज में सड़क किनारे पौधा रोपाई के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें कोरबा रेंज को भी विभिन्न मार्गों में 12,223 पौधे रोपने थे। पौधों की संख्या के आधार पर ट्रीगार्ड भी तैयार कराए गए थे। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि कोरबा-चांपा मार्ग का इन दिनों चौड़ीकरण किया जा रहा है। यह प्रस्ताव बीते वर्ष ही जारी हो गया था। जानकारी होने के बाद भी वन विभाग ने टारगेट पूरा करने के लिए सड़क किनारे पौधों की रोपणी कर दी। इसके लिए निगम से अनुमति भी नहीं ली गई और बारिश के दौरान ढाई हजार से भी अधिक पौधे रोप दिए। अब सड़क निर्माण का काम शुरू होने बाद न केवल पौधे बल्कि ट्रीगार्ड को भी उखाड़ा जा रहा है। ऐसे में न तो पौधे पेड़ बन सके न ही ट्रीगार्ड उपयोगी हुआ है। वन विभाग की अदूरदर्शिता के कारण लाखों का नुकसान ही हुआ है। सड़क में मरम्मत कार्य 10 दिन पहले शुरू हुआ है। मार्ग के दोनों ही किनारे में ही नाली बनाए जा रहे हैं। अभी तक 500 ही पौधे नष्ट हुए हैं। नाली निर्माण का कार्य आगे भी जारी रहेगा। ऐसे मार्ग में लगाए गए सभी पौधों को उखाड़ने की संभावना बनी हुई है।
बंसोड़ कारीगरों का नहीं हुआ मजदूरी भुगतान
वन विभाग की ओर से इस बार प्रत्येक पौधों की सुरक्षा के लिए ट्रीगार्ड बनवाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए जिम्मेदारी शहर में बांस की कारीगरी करने वाले बंसोड़ परिवार को दायित्व दिया गया। कोरबा रेंज में 12 हजार 223 पौधों की रोपणी की गई है। एक ट्रीगार्ड को तैयार करने में 450 रुपये की लागत लगी है। निर्माण के एवज में दिया जाने वाला 52 लाख का अब तक भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में श्रमिकों की भी पारिश्रमिक बकाया है। कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे कारीगर भुगतान के अभाव में वन कार्यालय का चक्कर काट रहे।