The duniyadari news।कभी ‘भूरा बाल’ (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, कायस्थ) साफ करने’ का नारा देनेवाले लालू प्रसाद ने भी मान-मुनव्वल करने की कोशिश की थी। आज उनके पुत्र और महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव भी राजपूतों पर बयान देने के बाद अब सफाई देते फिर रहे हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि उनके कहना का आशय राजपूत वर्ग का नही बल्कि डाक्टर साहव, एसडीओ साहब, सरकारी दफ्तर में बडा बाबू आदि था। लेकिन तेजस्वी अब चाहे जो कहें एक बार तीर कमान से निकलने के बाद वापस नही आता, या फिर तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति को समझने लगे हैं। उन्हे यह समझ में आ चुका है कि बिहार जैसे राज्य में मुद्दों को सुनने के लिए तो लोग इकठ्ठे हो जाते है लेकिन मतदान के समय ‘जात की राजनीति’ सभी मुद्दों पर हावी हो जाती है। तो क्या यह मान लिया जाए कि तेजस्वी यादव ने काफी सोच समझकर जातीय कार्ड खेला है। क्या तेजस्वी यादव यह भांप चुके है कि बेरोजगारी, विकास जैसे मुद्दे पर आरजेडी को वोट नही मिल सकता।