अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में बलरामपुर के श्रम पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत एक आवेदन ने मुश्किलें बढ़ा दी है। शादी के बाद से ससुराल में निवास कर रहे व्यक्ति ने ससुर की मौत के बाद पत्नी और तीन सालियों से पिछले चार दशक की मजदूरी राशि की मांग की है। उसका कहना है कि गांव के लोग गवाह है कि पिछले चालीस साल से वह ससुराल में मेहनत, मजदूरी कर उनकी जमीन में खेती करने में पसीना बहाया है।आवेदन को सुनवाई के लिए स्वीकार किया गया.
बलरामपुर जिले के चांदो थाना अंतर्गत ग्राम नवाडीह निवासी इग्नेस तिर्की 60 वर्ष पिछले चालीस वर्ष से ग्राम करचा में निवास करता है। करचा उसका ससुराल ग्राम है। उसकी शादी वर्ष 1978-79 में करचा की फूगे बाई से हुआ था।तब से वह वही रहता है। विवाह के बाद से वह ससुराल वालों के लिए ही मेहनत मजदूरी करता रहा। ससुर विपता की मृत्यु हो जाने के बाद उसे घर से बेघर कर दिया गया। विपता की सारी संपत्ति उनकी बेटियों ने अपने नाम करा लिया।
इग्नेश का कहना है कि वर्तमान में जो संपत्ति के उत्तराधिकारी बने है उन्हीं पर मजदूरी भुगतान का जिम्मा भी है। उसने पत्नी के अलावा तीन साली को अनावेदक के रूप में श्रम पदाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत आवेदन में शामिल किया है। मजदूरी भुगतान कराने के लिए उसने गांव वालों को गवाह के रूप में प्रस्तुत करने की भी इच्छा जताई है ताकि उसकी मांग जायज प्रमाणित हो सके।
संपत्ति या मजदूरी दोनों में से एक का हकदार
पत्नी और तीन साली से चार दशक की मजदूरी की मांग संबंधी जीजा के आवेदन के प्रकरण में सरगुजा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अशोक दुबे का कहना है कि वह व्यक्ति संपत्ति या मजदूरी दोनों में से किसी एक का हकदार है इसके लिए उसे लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि यदि वह घर जवाई के रूप में ससुराल में रह रहा था, पूरा जीवन वहीं बिता दिया तो उसे संपत्ति का हिस्सा मिलना चाहिए।यदि उसे घर जवाई नहीं माना जाता है तब उसे मजदूरी मिलनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति किसी के घर बिना मेहनताना के कार्य कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि श्रम पदाधिकारी को प्रकरण तैयार कर श्रम न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।