न्यूज डेस्क। प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक दिन पहले ही कोरबा में जनसभा कर इसका आगाज भी कर गए, लेकिन भाजपा के सीएम चेहरे पर संशय बरकरार है। प्रदेश में 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहे और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को अब पोस्टर में भी जगह नहीं मिल रही। वहीं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल का कहना है कि रमन सिंह जनता के दिलों में हैं।

बिलासपुर पहुंचे थे ओम माथुर

भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर रविवार को बिलासपुर पहुंचे थे। उनके स्वागत में भाजपाइयों ने कार्यालय के बाहर पोस्टर और होर्डिंग लगवाए हैं। इस होर्डिंग में स्थानीय नेताओं के साथ ही अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश प्रभारी सहित अन्य नेताओं के फोटो लगे हैं। अगर नहीं है तो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का। बताया जा रहा है कि उनको इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भी नहीं दिया गया है। इसके बाद सियासत शुरू हो गई है।

चंदेल बोले- रमन सिंह जी का पूरा सम्मान

इस बारे में जब नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, वह हमारे सम्मानीय नेता हैं। रमन सिंह जी का पूरा सम्मान है। वे बहुत वरिष्ठ नेता हैं, मार्गदर्शक हैं। वह जनता के दिलों में हैं। उन्हें आप पोस्टर में कहां खोज रहे हैं। इस पर जब उनसे कहा गया कि वह तो तीन बार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। बाकी नेताओं की भी तो फोटो है। इस पर नेता प्रतिपक्ष बोले कि, मुद्दों पर बात करो।

सीएम के चेहरे पर पहले भी उठ चुका सवाल
दरअसल, भाजपा में चेहरे का विवाद नया नहीं है। करीब एक साल पहले रायपुर प्रेस क्लब के एक कार्यक्रम में रमन सिंह से पूछा गया था कि अगली बार चुनाव में भाजपा की ओर से CM का चेहरा कौन होगा। इस पर उन्होंने कहा था कि भाजपा मुद्दों पर चुनाव लड़ती है। चुनाव जीतने के बाद विधायक दल तय करता है कि कौन सीएम बनेगा। छत्तीसगढ़ की भाजपा में तो कई चेहरे हैं उनमें से एक छोटा सा चेहरा मेरा भी है।

पूर्व प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी भी इसका नहीं दे सकी थीं जवाब

करीब चार माह पहले भाजपा की पूर्व प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी रायपुर पहुंची थीं। तब भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे सीएम के चेहरे को लेकर सवाल पूछा गया था। इस पर पुरंदेश्वरी ने कहा था कि, वे हर बार कह चुकी हैं कि हमारा हर कार्यकर्ता हमारा चेहरा हैं। उस समय पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भी उनके बगल में बैठे थे और मुस्कुरा रहे थे।