0 घर के सामान के 90 हजार व अफसर की मालिश कराने वाली महिला के 12 हजार भी अपनी जेब से दिए, इस तरह 1 लाख 2 हजार हो गए खर्च
कोरबा। जिले के कटघोरा वनमंडल में पोस्टिंग के दौरान आए दिन विवादों में रहीं शमा फरूकी इन दिनों मुंगेली डीएफओ हैं और एक बार सुर्खियों में हैं। इस बार उनके अपने ही महकमे के मातहत अफसर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। एक रेंजर ने फारूकी पर आरोप है कि डीएफओ उनसे अपने घर के लिए सब्जी-तरकारी मंगवाती हैं, सरकारी वर्दी में निजी कार्य कराती हैं। अंडा, चिकन, मटन व रसोई गैस से लेकर जरूरत की सामग्री बंगले तक पहुंचाने में अब तक जब से 90 हजार खर्च कर चुके। पर पैसे मांगते ही मैडम गालियां देने लगतीं हैं। रेंजर ने खुद पीड़ित महसूस करते हुए अफसर की मनमानी उजागर करने तब मुखालफत करना जरुरी समझा, जब अपनी मालिश के लिए रखी महिला का मेहनताना भी मैडम ने रेंजर को भुगतान करने का हुक्म दे डाला। खुद को प्रताड़ना का शिकार बताते हुए रेंजर ने पुलिस थाने पहुंचकर मदद की गुहार लगाई है।
यह ताजा मामला मुंगेली जिले का है। मुंगेली रेंज मुख्यालय में पदस्थ रेंजर फेकूराम लास्कर ने डीएफओ फारुकी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि मुंगेली की वर्तमान डीएफओ शमा फारूकी द्वारा उनसे घर का सब्जी से लेकर राशन लाने तक लगातार निजी कार्य कराया गया है। हद हो तब हो गई जब वनमंडलाधिकारी द्वारा अपनी मालिश के लिए एक महिला को लगाया गया है। जिसका भी भुगतान रेंजर से कराया गया है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह डीएफओ के द्वारा अपने पद का खुलेआम दुरुपयोग करते हुए निचले स्तर के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें प्रताड़ित किया जाता है ।हालांकि यह नया मामला नहीं है इनके कार्यकाल में लगातार रेंजर से लेकर तमाम कर्मचारियों को अनावश्यक रूप से किसी मामले में फंसाने की नियत से लिखा पढ़ी की जाती रही है। रेंजर का आरोप है कि डीएफओ साहिबा के आदेश पर तत्काल अंडा, चिकन, मटन, साग सब्जी से लेकर जरूरत की सामग्री बंगले तक पहुचाया गया है। जिसको लेकर अब डीएफओ फारुखी से प्रताड़ित होकर रेंजर फेकू राम लास्कर ने आरोप लगाते हुए कहा कि शमा फारुकी के द्वारा अब तक 90 हजार रुपए खर्च कर उनके घर की सामग्री गैस सिलेंडर साग सब्जी फल अंडा मछली चिकन बकरा मीट बिरयानी उनके बच्चों के लिए खिलौना एवं उनके आवास हेतु पर्दा कालीन कपड़ा इत्यादि को नगदी रकम खर्च कर उनके बंगले में छोड़ा गया है।जिसकी कुल कीमत आज दिनांक तक 90000 खर्च डीएफओ के घर के लिए किया गया है इसके साथ ही एक अतिरिक्त महिला श्रमिक वनमंडलाधिकारी के मालिश कार्य हेतु चंद्रकुमारी पात्रे को 12000 की राशि मिलाकर 102000 का भुगतान रेंजर के द्वारा नगद किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका स्वास्थ्य अच्छा नही रहता है तथा आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से उक्त राशि को मांग करने पर उन्हें व्यय राशि को नहीं देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि पैसा मांग करने पर मुझे अपशब्द का प्रयोग करते हुए किसी प्रकरण में फंसाने की धमकी दी गई साथ ही वन विभाग के बड़े अफसर पीसीसीएफ श्री निवास राव को बोलकर सस्पेंड कराने की धमकी दी गई है। ऐसे में वनमंडल के अधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारी कर्मचारी के साथ कूट रचना षड्यंत्र कर दस्तावेज तैयार करवाने का भी जिक्र शिकायत कॉपी में किया गया है। वही इसको लेकर पीड़ित रेंजर फेकूराम लास्कर ने न्याय की गुहार लगाते हुए मुंगेली जिले के सिटी कोतवाली थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए कहा है कि वनमंडल के अधिकारी समा फारुखी के द्वारा मेरा निजी राशि गबन करने अपशब्दों का प्रयोग करने धमकी देने कूट रचना कर दस्तावेज तैयार करने के कारण उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने कहा मैं सीनियर सिटीजन के अंतर्गत हूं। वही उन्होंने अपनी राशि दिलाने पुलिस की मदद लेते हुए गुहार लगाई है।
कटघोरा वनमंडल में आया को पैसा नही देने का आरोप
आदिवासी वर्ग की आया ने बड़ा ही सनसनीखेज व गंभीर आरोप लगाया है। पीड़िता आदिवासी युवती ने इस मामले की लिखित शिकायत कटघोरा थाना में की है। वहीं शपथपत्र भी जारी किया है। फारूखी के घर पर कोरबी चौकी अंतर्गत बुढ़हापारा निवासी कु. क्रान्ति राज 24 वर्ष आया के रूप में काम कर डीएफओ के बच्चे की देखभाल करती थी। इस कार्य के लिए 10 हजार रुपए प्रतिमाह मेहनताना उसे दिया जा रहा था। मार्च 2020 से 30 दिसंबर 2020 तक उसने डीएफओ के यहां उक्त कार्य किया। 30 दिसंबर को आया कु. क्रान्ति डीएफओ मैडम से अपनी मजदूरी का हिसाब मांगी तो पैसा नहीं दिया।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि मालिश कराने से लेकर तमाम कार्यों के बिल का भुगतान रेंजर के द्वारा कर दिया गया है जिसका भुगतान राशि डीएफओ से मांगने पर उनके द्वारा अपशब्द एवं झूठे प्रकरण में फंसाने तथा पीसीसीएफ एवं वन मंत्री को बोलकर सस्पेंड कराने की धमकी दिया जा रहा है। इसके सांथ ही वनमंडलाधिकारी द्वारा सीधे ठेकेदार एवं मजदूरों से बात कर कमीशन मांगने मांगती है तथा उसी से हमें कार्य करने के लिए बात करती है. सामग्री प्रदान न कर सीधे ठेकेदार के माध्यम से काम कराने के लिए दबाव बनाती है जिससे वन विभाग की छवि एवं गरिमा पूरा जिले की छवि धूमिल हुई है।