इंटरनेट डेस्‍क। Dussehra 2022:  इस साल 5 अक्टूबर 2022 को देशभर में दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। दशहरा के दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था। श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार थे, जिनका जन्म अधर्म, असत्य और पाप का अंत करने के लिए हुआ था।

 

असत्‍य पर सत्‍य की जीत के प्रतीक में दशहरा के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है और अधर्म व असत्य की हार को प्रदर्शित किया जाता है। लेकिन भारत में ही ऐसे कई मंदिर हैं, जहां दशानन यानी रावण की पूजा होती है। इस विजयदशमी के मौके पर देश में स्थिर रावण के मंदिरों के बारे में जानें, जहां दशहरा के दिन रहता है शोक का माहौल।

-कर्नाटक का लंकेश्वर महोत्सव

कर्नाटक के कोलार जिले में लंकेश्वर महोत्सव का आयोजन होता है। इस महोत्सव में रावण की पूजा होती है और जुलूस निकाला जाता है। लंका के राजा रावण के साथ ही भगवान शिव की प्रतिमा भी जुलूस में निकाली जाती है। शिवजी के भक्त होने के कारण रावण की यहां पूजा होती है। इसके अलावा कोलार के मालवल्ली तहसील में ही रावण का एक मंदिर भी बना हुआ है।

-मध्य प्रदेश का विदिशा

लंका के रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा में हुआ था। इस जगह को रावण की ससुराल माना जाता है और यहां उनकी पूजा होती है। विदिशा में रावण की 10 फीट लंबी प्रतिमा बनी हुई है। दशहरे के दिन यहां रावण की पूजा की जाती है। शादी या अन्य किसी शुभ कार्य में लोग विदिशा में स्थित रावण की मूर्ति की पूजा करके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

०-मध्य प्रदेश का मंदसौर

भारत का रावण का सबसे पहला मंदिर मध्य प्रदेश में बना था। यहां मंदसौर में रावण की रुण्डी नाम की विशाल प्रतिमा रखी हुई है, जिसकी लोग पूजा करते हैं। रावण की मूर्ति के सामने महिलाएं घूंघट डालकर जाती हैं। मान्यता है कि मंदसौर मंदोदरी का मायका है, इसलिए रावण मंदसौर के दामाद हैं।

०-हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ कस्बा

हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ कस्बा में भी रावण की पूजा होती है, हालांकि यहां रावण का कोई मंदिर नहीं है। मान्यता है कि बैजनाथ कस्बा में रावण ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। इसलिए लोग रावण की यहां पूजा करते हैं और दशहरा में रावण का पुतला नहीं जलाते।

०-उत्तर प्रदेश के कानपुर में दशानन मंदिर

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में भी रावण का मंदिर है, जो साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। कानपुर के शिवाला क्षेत्र में मौजूद इस मंदिर का नाम दशानन मंदिर है, जिसे दशहरा के दिन खोला जाता है। इस दिन मंदिर में स्थापित रावण की मूर्ति का श्रृंगार करके पूजा और आरती की जाती है।  मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यहां तेल का दीया जलाकर मन्नत मांगने पर मनोकामना पूरी होती है।

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