कोरबा।ड्राफ्ट मेन के भरोसे आदिवासी विकास विभाग में 44 करोड़ के काम की निविदा निकाली गई है। बिना तकनीकी सेटअप के जारी निविदा से साफ जाहिर है कि सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर अधिकारियों का पलीता लगाने का फुलप्रूफ प्लान है।

 

बता दें कि आत्मानन्द स्कूल निर्माण के सहायक आदिवासी विकास विभाग ने सीएसआर मद से 44 करोड़ की निविदा निकाली है।जारी निविदा में 5 विकास खंड के अलग-अलग स्कूलों के समूह बनाकर निविदा जारी की गई है। जिससे निर्माण कार्य की लागत बढ़ सके और काम को सेटिंग में बड़े ठेकेदारों को बांटा जा सके। मजे वाली बात इसमें यह भी है कि आदिवासी विभाग सिर्फ अपने हॉस्टल निर्माण और उनके मरम्मत के लिए एजेंसी बन सकता है। क्योकि निर्माण कार्य के लिए न तो विभाग के तकनीकी जानकार यानी इंजीनियर है और न ही एसडीओ..! मतबल बड़े कार्यो की मॉनिटरिंग के लिए तकनीकी सेटअप नही है। इसके बाद भी 44 करोड़ के निर्माण कार्य का एजेंसी बनाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना है। अब जब 44 करोड़ का निविदा जारी किया गया है तो उसका मॉनीटिरिंग विभाग में पदस्थ एक ड्राफ्ट मेन करेंगे। इससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता और समय का अंदाजा लगाया जा सकता है।

 

निर्माण एजेंसी फरमा रहे आराम और ट्राइबल को बांट रहे काम

 

जिले के निर्माण एजेंसी जिनके पास तकनीकी विभाग है, वे बिना काम के सरकार का वेतन लेकर कुर्सी तोड़ रहे हैं। वही जिनके पास तकनीकी जानकारों का टोटा है उन्हें काम बांट रहे है। इससे जाहिर है सारे निर्माण कार्य अपने चहेते ठेकेदारों को देने योजना बनाई गई है।

 

चहेते ठेकेदारो को काम बांटने का बनाया प्लान

आदिवासी विभाग से जारी निविदा के संबंध में सूत्र बताते है कि स्कूल जैसे महत्वपूर्ण महत्वकांक्षी कार्य को समूह बनाकर निविदा जारी करना ठेकोदारों को ही फ़ायदा पहुंचाने का प्लान है। सीधी सी बात है कि इससे छोटे ठेकोदारों को मौक़ा नहीं मिल सकेगा। अब नियमों को ताक पर रखकर टेंडर जारी करने के बाद एक बार फिर यह विभाग चर्चा में आ गया है।