KORBA: पीड़िता का छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से क्षमा याचना करते हुए “न्याय के अंतिम आस” के साथ लिखा पत्र.. हो रहा है वायरल..

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कोरबा। डॉक्टर की लापरवाही से पिता को खो चुकी पीड़िता का छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से क्षमा याचना करते हुए न्याय की मांग का पत्र वायरल हो रहा हैं। सोशल मीडिया में वायरल पत्र के मुताबिक चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर की संचालिका सहित अन्य अभियुक्तगण पर कार्यवाही की मांग की गई है।

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना में पिता का साया खो चुकी एक महिला ने अपनी व्यथा चीफ जस्टिस को लिखकर व्यक्त की है। वायरल पत्र में कोरबा कोर्ट के डिसीजन का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी 116 दिनों तक जांच का पेंच फंसाकर पुलिस ने उन्हें बचने का मौका दिया है। अब जब एफ.आई.आर. दर्ज हुआ तो बयान दर्ज कराने के नाम पर ओरिजनल दस्तावेज की मांग की गई। उन्होंने लिखा है कि बयान के नाम पर ओरिजनल दस्तावेज को मांग एक प्रकार से आरोपी को बचाने का एक पार्ट है। दस्तावेजों की डिजिटल प्रति एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर के पास उपलब्ध है और इसके अलावा अन्य दस्तावेज भी जिला चिकित्सालय व बाल्को हॉस्पिटल में  है, जबकि  विवेचना करने के लिए जिनके कब्जे में मूल दस्तावेज उपलब्ध है, उनसे नही मांगा जा रहा है और नहीं एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर के रजिस्टर को जप्त किया जा रहा है। मूल दस्तावेजों को लिखित में मांगे जाने पर मेरे द्वारा लिखित में जवाब देते हुए जब चौकी प्रभारी से पावती की मांग किये जाने पर पावती देने से इंकार किया गया, तब मुझे रजिस्टर्ड डाक से जवाब भेजना पड़ा।


उन्होंने आगे लिखा है कि आरोपी को बचाने सी.एस.ई.बी. चौकी की पुलिस लगातार ग्राउंड तैयार कर रही हैं। पीड़ित महिला कुसुमलता साहू ने यह भी लिखा हैं कि मुझे यह लग रहा है कि आरोपी के खिलाफ हुए एफ.आई.आर. में हाई कोर्ट में जमानत के लिए प्रयास कर रहा हैं। मतलब साफ हैं कि आरोपियों को बचाने भरसक प्रयास किया जा रहा हैं। आरोपी के प्रभाव से यदि उन्हें बचा लिए जाता है तो एक आम इंसान के खिलाफ यह अन्याय होगा और प्रभावशाली लोंगो के लिए कानून एक खिलौना।

आगे पत्र में कहा गया है कि अभियुक्त गण की नजर में किसी इंसानी जीवन की किसी परिवार के सदस्य के जीवन की कोई कीमत नहीं है। स्थगन के लिए अगर इनके द्वारा आवेदन लगाया जाता है और अगर इनको माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय आपके न्यायालय से स्थगन मिल गया तो आगे फिर लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का इनका हौसला बुलंद हो जाएगा कि कुछ भी कर लो कानून के हाथ से लंबे तो हमें बचाने वाले ही हैं।  इन सारे पहलुओं पर गौर करते हुए आरोपी के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गई है।

ये था मामला

प्रकरण में परिवादिनी कुसुमलता साहू ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद दायर करते हुए बताया कि वह 31/10/2020 की शाम को अपने पिता दिलेश्वर प्रसाद साहू को कोविड टेस्ट के लिए ट्रांसपोर्ट नगर, कोरबा स्थित एडवांस डायग्नोस्टिक सेंटर लेकर गई थी और वहां समय पर कोविड टेस्ट की रिपोर्ट नही दिए जाने के कारण इलाज के अभाव में उसके पिता दिलेश्वर प्रसाद साहू की अकाल मृत्यु हो गई। परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में उल्लेख किया गया है कि आरोपीगण के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में अपनी गलती छिपाने के लिए जानबूझकर फर्जीवाड़ा करते हुए सैंपल लेने व सैंपल रिपोर्ट जारी करने के समय में फर्जीवाड़ा किया गया है। सैंपल लेने का समय 1 नवंबर की सुबह 10 बजे तथा रिपोर्ट जारी करने का समय 10:06 बजे दर्शित किया गया है जबकि दिलेश्वर प्रसाद साहू  की मृत्यु 2 घंटे पूर्व हो चुकी थी। परिवादिनी के द्वारा मृत्यु के संबंध में दस्तावेज भी पेश किए गए हैं कि मृत देह मोर्ग में रखी हुई थी।