कोरबा। रेत घाट स्वीकृति के पहले गूगल सेटेलाइट के माध्यम से कोऑर्डिनेट को आधार मानकर खदान की स्वीकृति तो मिली है लेकिन रेत ठेकेदार जगह बदलकर सीमांकन कराकर रेत उत्खनन कर नदी का सीना चीर रहे है। मामला तूल पकड़ता देख अब खनिज विभाग ऐसे खदानों को बंद कराने की तैयारी में है। खदान संचालको को भले ही निर्धारित लीज एरिया में उत्खनन करने जिला प्रशासन कर रहा हो , पर फिल्ड में कुछ और नजर आ रहा है।
यह मामला है देवलापाठ के समीप बगधर रेत घाट का जंहा सेटेलाइट नक्शा को दरकिनार कर लीज एरिया के दूसरे छोर को चालबाजी पूर्वक सीमांकन कराकर रेत उत्खनन किया जा रहा है। मामले की शिकायत के बाद खनिज विभाग के अफसर अब रेत घाट को बंद करने की बात कह रहे है।
देवलापाठ के पास बगधर रेत खदान में खसरा नंबर 402 रकबा 4750 हेक्टेयर का लीज रेत निकालने अनुमति दी गई है। नदी में जिस जगह की अनुमति है उस जगह पानी भरा है। इसका फायदा उठाते हुए रेत ठेकेदार ने नदी के दूसरे छोर का सीमांकन कराने के बाद रेत निकालने का कारोबार शुरू कर दिया है। नियमानुसार चिन्हांकित स्थल में पानी भरा है तो उसकी जानकारी ठेकेदार को खनिज विभाग को देनी थी। दूसरी ओर जिला खनिज विभाग को भी स्थल का जायजा लेना था। सूचना दिए बगैर एक लीज से दो जगह से रेते निकालने की तैयारी में ठेकेदार हैं। वैसे भी ग्रीन ट्रिब्यूनल का प्रतिबंध रेतघाट संचालन से हटने के बाद भी अवैध उत्खनन एवं परिवहन का सिलसिला जारी है। जिले में सीमित घाटों की अनुमति होने के कारण यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। गूगल एप से जगह चिन्हांकित किए जाने के बाद स्थल का मुआयना नहीं किया गया। जिस जगह को चिन्हांकित किया है, वहां पहले से ही रेत निकाला जा चुका है, और अब वहां पानी भरा है। ऐसे में उक्त स्थान से रेट निकालना संभव नहीं जिसका फायदा उठाकर ठेकेदार अब दूसरी जगह सीमांकन करा रेत निकाल रहे हैं।
इस सम्बन्ध में खनिज विभाग के उप संचालक एस एस नाग ने बताया कि परिवहन के लिए नदी घाट में जिस जगह को गूगल एप से चिन्हाकित किया गया है, उसके बजाय दूसरी जगह में रेत निकालने की शिकायत मिली है। फिलहाल रेत उत्खनन को बंद कराने उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन माँगा गया है ।