नारायणपुर। Protecting The Forests In Abujhmad: नक्सल हिंसा से जूझ रहे जिले में अबूझमाड़ की महिलाएं जंगल की अवैध कटाई के विरोध में मैदान में उतर आई हैं। कीमती लकड़ियों के साथ बांस से करील (बास्ता) निकालने के लिए आने वालों को रोकने के लिए वे सुबह से शाम तक जंगल की निगरानी कर रही हैं। कुरुसनार, कंदाड़ी और कोडोली गांव की महिलाएं अलग-अलग पालियों में जंगल की रखवाली कर रही हैं, जबकि यह काम वन विभाग को करना चाहिए। महिलाओं की जागरूकता से जंगल की कटाई पर विराम लग रहा है। जल, जंगल और जमीन बचाने की मुहिम में जुटी महिलाएं अगली पीढ़ी के लिए कुछ बेहतर करने की बात कहती हैं।
जंगल की पहरेदारी में लगी महिलाएं कहती हैं कि अबूझमाड़ में कुछ सालों से वनों की कटाई चल रही है। सागौन के कीमती पेड़ खत्म होने की कगार पर हैं। वन महिलाओं ने सागौन के बड़े जंगल पर कुल्हाड़ी चलाकर उसे मैदान में तब्दील कर दिया है। मुख्य सड़क के किनारे जंगल दिख रहे हैं लेकिन अंदर जाते ही सपाट मैदान नजर आने लगा है। जंगल के घटते रकबा पर विराम लगाने के लिए उन्होंने बैठक कर फैसला लिया है कि अब जंगल पर कुल्हाड़ी नहीं चलने देंगी। जंगल की पहरेदारी के लिए सुबह से शाम छह बजे वे हाथों में लाठी लेकर सड़क पर डटी रहती हैं। कुछ महिलाएं दुधमुंहे बच्चों के साथ भी निगरानी करने आ रही हैं। इतना ही नहीं, जिला मुख्यालय से जलाऊ लकड़ी लेने आने वाले लोगों को गैस सिलेंडर का उपयोग करने की सलाह भी दे रही हैं। दिन भर की कार्रवाई के बाद लोगों से जब्त लकड़ी और करील वन विभाग के सुपुर्द कर देती हैं। महिलाओं की सक्रियता देख रेंजर उन्हें वन प्रबंधन समिति से जोड़कर जंगल की अवैध कटाई के साथ अतिक्रमण की रोकथाम के लिए सहयोग मांग रहे हैं।