उड़नखटोला और उड़न छू,माथा देख टीका…सब इंस्पेक्टरों की टेंशन और थानेदारी का अट्रैक्शन…बिन फेरे कैसे हो तेरे… मुहूर्त का इंतजार जोड़े बेकरार…

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माथा देख टीका…

जिला पंचायत के कार्यों में कसावट लगाने के लिए चल रहे ट्रांसफर महाअभियान में माथा देख टीका लगाने की जोरदार चर्चा हो रही है। जिस अंदाज में सचिवों का स्थांतरण आदेश जारी हो रहे हैं उसमें पुराने खिलाड़ियों को अभय दान दिया जा रहा है। कोरबा जनपद में तो कई ऐसे नेतानुमा सचिव हैं जो पंचायत कम मुख्यालय में ज्यादा घूमते नजर आते हैं।

ये ऐसे सचिव हैं जो नीचे से लेकर ऊपर तक सेटिंग की बात करते चौक चौराहों में अपनी धौंस बताते फिरते हैं। हालांकि सचिव ट्रांसफर के महाअभियान से सचिवों में डर तो बना है, पर खौफ नहीं!

खबरीलाल की माने तो कोरबा ब्लाक के नेतानुमा सचिव ट्रांसफर न हो इसके लिए जुगाड़ भिड़ा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिन सचिवों का स्थांतरण आदेश जारी हुआ है उसकी एक संसोधन लिस्ट भी जारी होने की उम्मीद है। मतलब साफ है सचिवों के एप्रो. के आगे …सब…

सब इंस्पेक्टरों की टेंशन और थानेदारी का अट्रैक्शन…

सीएम के दौरे के बाद पुलिस विभाग में निकलने वाली ट्रांसफर लिस्ट को लेकर सब इंस्पेक्टरों की टेंशन बढ़ गई है। एक तरफ खनिज संपदा से परिपूर्ण माटी को छोड़कर जाने का गम सता रहा है तो दूसरी तरफ कुछ सब इंस्पेक्टरों को थानेदारी का अट्रैक्शन चढ़ा है। बीते दिनो हुए पुलिस विभाग के ट्रांसफर में बड़े पैमाने पर निरीक्षकों को जिले से बाहर भेजा गया था। स्थांतरण का गम अभी लोग भुला भी नहीं पाये हैं और अब एक टेंशन विभाग को सता रहा है। वो है कुछ चुलबुल पांडे टाइप सब इंस्पेक्टरों की बिदाई।

हालांकि कुछ उप निरीक्षक मनचाहा जगह पोस्टिंग के लिए पहले से प्रयासरत हैं लेकिन, कुछ ऐसे भी मलाईदार चौकी प्रभारी है जो ट्रांसफर को लेकर सकते में है। हो भी क्यों न क्या पता  मैदानी एरिया से निकलकर उन्हें बीहड़ जंगलों में ड्यूटी… करना न पड़ जाए।

बिन फेरे कैसे हो तेरे… मुहूर्त का इंतजार जोड़े बेकरार…

बिन फेरे हम तेरे की कहावत तो आपने सुनी होगी पर यंहा सामूहिक कन्या विवाह के शादी के जोड़ों को महिला बाल विकास विभाग के मुहूर्त का इंतजार है। मुहूर्त का इंतजार करते- करते कई जोड़े अब बेकरार हो गए है और कहने लगे है बिन फेरे हम कैसे हो तेरे ? हालांकि विभाग ने शादी की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी है और दूल्हे को देने के लिए सामान भी चार महीना पहले ही खरीदा जा चुका है। अब प्रतीक्षा सिर्फ बस इस बात की है कि सरकार की ओर से मुहूर्त की घोषणा हो जाए तो  316 जोड़ों के हाथ पीले कर दिये जाए। दूल्हे और दुल्हन को प्रशासनिक मुहूर्त का इंतजार करना नहीं भा रहा है। खबरीलाल की माने तो 316 जोड़ों में से कई लोगों ने शादी भी कर ली है। खैर विभाग का क्या उनका खरीदी में जो होना था वो तो मिल ही चुका है। साफ बात है जब 10 रुपये का गुलाब फरवरी के महीने में 100 रुपये का हो जाता है, लगभग वही स्थिति यहां की है। अब सामान खराब हो या अच्छा उससे क्या लेना देना ?  कौन सा अपने घर के  लिए खरीदा है !!

उड़नखटोला और उड़न छू…

सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पुष्पा स्टाइल में ताबड़तोड़ हेलीकाप्टर दौरा कर रहे हैं। जिस गांव या कस्बे में उनका उड़नखटोला उतरता है वहां कुछ अफसर सीएम की टेढ़ी नजर पड़ते ही उड़न छू हो जाते हैं। बघेल पुष्पा स्टाइल में अफसरों को चेता रहे हैं लापरवाही की अपुन छोड़ेगा नहीं।

4 मई से शुरू सीएम के दौरे में अब तक आधा दर्जन से ज्यादा अफसर उड़न छू हो चुके हैं। सरगुजा से तो सिर्फ शुरूआत है। अभी 75 से ज्यादा विधानसभा का हिसाब किताब बाकी है।

खबरीलाल की माने तो आने वाले समय में सीएम की रडार में बड़े अफसर भी आ सकते हैं जो मैदानी प्रदर्शन में अच्छा प्रदर्शन करने में पीछे छूट गए हैं।

एक मुलाकात और कई कयास…

अवसर था ईद मिलन समारोह का। कार्यक्रम की शान बढ़ाने प्रदेश के दिग्गज नेता मौजूद रहे। खुशनुमा माहौल में भाजपा के एक दिग्गज नेता की बंद कमरे में मुलाकात ने सियासी पारा बढ़ा दिया हैं। सियासी गलियारों में नेता जी के मुलाकात की कई तरह की मायने निकाल रहे हैं। जाहिर राजीनति के दो ध्रुव जब एक साथ बैठे तो कुछ खास तो होना ही है।

चर्चा है कि इस नेता जी ने भाजपा शासनकाल में एक आदिवासी मंत्री की शरण लेकर एक नया साम्राज्य खड़ा किया। हालांकि अब पूर्व मंत्री और नेता जी के बीच तलवार खींच गई है तो स्वाभाविक है साम्राज्य को बचाने नए आका की तलाश कर रहे हैं। राजनीतिक पंडितो की माने तो व्यापार को बचाने राजनीतिक संरक्षण जरूरी है। यही वजह है कि नेता जी बंद कमरे में 15 मिनट  तक चर्चा की।

चर्चा तो ये भी है कहीं ऐसा तो नहीं कि नेता जी कांग्रेस ज्वाईन करने का मन बना लिया हो। वैसे भी भाजपा में अब मलाई वाला पोस्ट मिलने से रहा सो चलो कांग्रेस की राजनीति का स्वाद चख लें! ख़ैर होने को तो कुछ भी सकता है। जिस अंदाज में नेता जी से चर्चा कर रहे थे उससे तो मामला गंभीर नजर आ रहा है।

             ✍️ अनिल द्विवेदी. ईश्वर चंद्रा