एक सेक्शन दो प्रभारी इक दूजे पर भारी,जंगल की शेरनी दफ्तर में दहाड़…थैला का प्रसाद और होली की हलचल

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एक सेक्शन दो प्रभारी इक दूजे पर भारी

कटाक्ष: पुलिस महकमे के एक महत्वपूर्ण विभाग में दो प्रभारी की चर्चा आम है। कहा जा रहा है कि ये प्रभारी दोनों एक दूसरे पर भारी हैं और अपने अपने टास्क के हिसाब से कर्मचारियों की ड्यूटी तैनात करते हैं। दोनों प्रभारी विभाग के मुखिया को साधने में एक दूसरे को पीछे छोड़ने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते। हालांकि एक प्रभारी घोषित है और दूसरा अघोषित बावजूद इसके दूसरे की ज्यादा चलती है। यही वजह है कि वो पुराने चतुर खिलाड़ियों को साथ रखकर मैच की कप्तानी कर रहे हैं।

खबरीलाल की माने तो सेक्शन के वास्तविक प्रभारी भी बीच बीच चौका छक्का जड़कर साबित कर देते हैं आखिर विभाग का कप्तान तो मैं ही हूँ। खैर इन गुटबजी के चक्कर में विभाग अपना मूल काम नहीं कर पा रहा है और बाकी कामों की गति रॉकेट से भी तेज रफ्तार में है। एक चर्चा यह भी है कि इन दिनों एक विशेष मामले की पड़ताल के लिए दोनों प्रभारियों को टास्क दिया गया और उन्हें बाकायदा प्रमोशन का लालच भी।

जंगल की शेरनी दफ्तर में दहाड़

जंगलराज में जंगल की शेरनी दफ्तर में दहाड़ मार रही है। दहाड़ से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर तो गुर्रा ही रही है ऊपर से विभाग के शिकवा शिकायत करने वालों को भी डराने का प्रयास कर रही है। मैडम का खौफ किसी से छुपा नहीं है। खबरीलाल के मुताबिक पिछले दिनों विभाग के हुए कार्य की एक शिकायत को लेकर दफ्तर पहुंचे आम आदमी को इस कदर दहाड़ लगाई की मानो शिकायतकर्ता नही बल्कि वह अपराधी हो! फिर क्या था आम आदमी जब जागता है तो कुछ भी कर देता है।

अब मैडम की मनमानी और उसके जनहित विरोधी कार्यों का पूरा पुलिंदा उच्च अधिकारियों को भेजकर जंगल के शेरनी को हटाने की मांग की है। हालांकि माना यह जा रहा है कि रिचार्ज की वैलिडिटी तक उन्हें यहां से कोई नहीं हिला सकता, पर शिकायत तो शिकायत है और फिर अब चुनावी माहौल भी तो रायचंदों की माने तो मामला कुछ भी हो सकता है। खैर शिकायत पर कुछ हो न हो लेकिन उनके गुर्राने की आवाज ऊपर राजधानी तक जरूर पहुंची है।

थैला का प्रसाद और होली की हलचल

शहर के एक कद्दावर नेता विधानसभा की तैयारी की तैयारी में अभी से जुट गए हैं। असल मे होली के बहाने शहर के विभिन्न संगठनों को होली खेलने का न्यौता और मोहल्ले में चल रहे थैला में प्रसाद वितरण से इसका आंकलन लगाया रहा है। असल में नेता जी जानते है जो सीटिंग एमएलए हैं और उनका टिकट तो कटेगा नहीं तो इसी बहाने चलो चुनाव की तैयारी में ही लग जाये, पता नहीं आगे मौका मिले न मिलें।

राजीनीतिक पंडितों की माने तो छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को अभी करीब डेढ़ साल का वक्त है। संभवतः नवम्बर 2023 में ये चुनाव होंगे। इधर, राज्य के कद्दावर मंत्री के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट की गईं कई तस्वीरें उनके चुनावी तैयारी की तरफ इशारा कर रही हैं। हालांकि कोरोना काल के लबे अर्से बाद नेता जी के घर मे होली मिलन समारोह रखा गया, पर जिस अंदाज में शहर के समाज प्रमुखों से लेकर आमजनों को स्नेहिल बुलाया गया उससे चुनावी होली कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। चलो कम से कम इसी बहाने सही लोगों की आवभगत तो की गई।

आप और तुम….

राजधानी में आज आम आदमी पार्टी की धमाकेदार एंट्री से छत्तीसगढ़ में उन लोगों की निकल पड़ी है जो नेतागिरी का शौंक तो रखते हैं पर किसी पार्टी में उन्हें भाव नहीं मिल पाया। रायपुर में आज दिल्ली में केजरीवाल सरकार के मंत्री गोपाल राय पहुंचे और सीधे कह दिया कि कई लोगों के फोन उन्हें आ रहे हैं, जो छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी का झंडा उठाने के लिए तैयार हैं। केजरीवाल के मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस और बीजेपी में उन बड़े चेहरों की तलाश शुरु हो गई है, जो अगले चुनाव में झाडू मारकर दोनों पार्टियों की लुटिया डूबा सकते हैं। हर बड़ा चेहरा एक दूसरे पर अंगुली उठा रहा है कि …क्या वो तुम…..नहीं तुम ….मैं नहीं तुम…।

.ख़ुद्दारी वजह थी कि, ज़माने को कभी हज़म नहीं हुए हम…

विधानसभा में पेश ताड़मेटला न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में प्रदेश के आईपीएस एसआरपी कल्लूरी को क्लीन चिट मिलना उनकी ही इस कविता पर पूरी तरह फिट बैठती है…

”ख़ुद्दारी वजह थी कि, ज़माने को कभी हज़म नहीं हुए हम…

पर ख़ुद की नज़रों में, यकीं मानो, कभी कम नहीं हुए हम!

माना कि औरों की मुकाबले, कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने…

पर खुश हूं कि खुद को गिरा कर, कुछ उठाया नहीं मैंने!!!

जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया कि स्वामी अग्निवेश के विरोध के लिए कल्लूरी ने किसी को नहीं उकसाया था।

कहते हैं दुर्घटना से देर भली…..एसआरपी कल्लूरी काफी वर्षों से जिस आरोप को झेल रहे थे उससे बरी तो हुए मगर,उनकी ये कविता महकमें के कुछ अफसरों के लिए अखरने वाली बात तो जरूर है।

                 अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा