भाटापारा- कैसे बनाएं मध्यान्ह भोजन ? यह सवाल खंड क्षेत्र की स्कूलें उठाने लगी हैं क्योंकि पानी की धार लगभग पतली होती जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों से मदद मांगी जा रही है, तो शहरी क्षेत्र में निकाय से पानी लिया जा रहा है।

ग्रीष्म ऋतु ठीक तरह से अभी शुरू नहीं हुई है लेकिन स्वरूप जैसा दिखाई दे रहा है, उसमें पहला असर भू-जल स्रोत पर पड़ता नजर आ रहा है। यह व्यापक रूप से उन स्कूलों में फैलने लगा है, जहां हैंडपंप और सबमर्सिबल पंप साथ छोड़ने लगे हैं। जहां चल रहे हैं, उनसे निकलने वाली धार तेजी से सिकुड़ रही है। पानी संकट की जानकारियों पर खंड शिक्षा मुख्यालय ने प्रयास चालू कर दिए हैं ताकि संकट विस्तार ना ले पाए।

संकट की आहट

जिन स्कूलों में पानी आ रहा हैं, उनकी धार पतली होती जा रही है। जहां का प्रवाह बना हुआ है, वहां के पंप रुक-रुक कर चल रहे हैं। यह दोनों ही स्थिति स्पष्ट संकेत दे रही है कि कभी भी साथ छूट सकता है। दोनों स्थितियों पर नजर रख रहे स्कूल प्रबंधनों ने जानकारी मुख्यालय भेजते हुए निदान की मांग उठाने चालू कर दिए हैं।

यहां टैंकर से पानी

फरवरी में ही पानी का साथ छूट चुका है। लिहाजा शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामसागर पारा में नगर पालिका से पानी मंगाया जा रहा है। टैंकर में आ रहे पानी से मध्यान्ह भोजन सहित अन्य जरूरतें पूरी हो रहीं हैं। मिलती-जुलती ऐसी ही स्थिति शहर क्षेत्र की कई स्कूलों की भी हो चुकी है।

कैसे बनाएं मध्यान्ह भोजन

पानी संकट का सामना कर रहीं स्कूलों में अब मध्यान्ह भोजन संचालन में दिक्कत आने लगी है। स्व सहायता समूह का यह सवाल मुख्यालय तक पहुंचने लगा है, जिसमें पूछा जा रहा है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में बगैर पानी के मध्यान्ह भोजन कैसे बनाएं ?

कर रहे अपने स्तर पर प्रयास

शहर क्षेत्र की तरह ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों ने भी पंचायत और किसानों से पानी के लिए आग्रह किया है। मिलना भी चालू हो चुका है लेकिन टैंकर की उपलब्धता का नहीं होना, अभी भी बाधा बनी हुई है। जैसे-तैसे करके इस समस्या का हल निकाला जा रहा है लेकिन कब तक ? जैसे सवाल के जवाब नहीं मिलते।

संज्ञान में है

स्कूलों में पानी संकट की जानकारी संज्ञान में है। निदान के लिए निकाय और पंचायतों से मदद के लिए आग्रह करने कहा गया है। स्थाई समाधान के लिए पीएचई को पत्र लिखा जा चुका है।
– भास्कर देवांगन, खंड शिक्षा अधिकारी, भाटापारा