न्यूज डेस्क। वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल को आज कौन नहीं जानता? लेकिन क्या आपको पता है कि जब वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए बिहार से चले थे, तो एकदम खाली हाथ थे। उनके पास सिर्फ एक टिफिन बॉक्स और बिस्तर बंद था। अपनी इसी याद को उन्होंने ट्विटर पर शेयर किया है।
अनिल अग्रवाल ने ट्विटर पर अपने पुराने दिनों की यादें साझा की हैं, उन्होंने लिखा है, ‘करोड़ों लोग अपनी किस्मत आजमाने मुंबई आते हैं, मैं भी उन्हीं में से एक था। मुझे याद है कि जिस दिन मैंने बिहार छोड़ा, मेरे हाथ में सिर्फ एक टिफिन बॉक्स और बिस्तर बंद था। इसके साथ आंखों में सपने, मैं विक्टोरिया टर्मिनस स्टेशन पहुंचा और पहली बार कई चीजों को देखा…।’
पहली बार देखी काली-पीली टैक्सी, डबल डेकर बस
अनिल अग्रवाल ने लिखा, मैंने पहली बार काली-पीली टैक्सी, डबल डेकर बस और सिटी ऑफ ड्रीम्स (City of Dreams) को देखा। इन सब चीजों मैंने सिर्फ फिल्मों में देखा था। मैं युवाओं को कड़ी मेहनत से काम करने के लिए प्रोत्साहित करता हूं ताकि वो बुलंदियों को छू सकें। अगर आप मजबूत इरादे के साथ पहला कदम उठाएंगे, मंजिल मिलना तय है।’
स्टरलाइट इंडस्ट्रीज से हुई शुरुआत
अनिल अग्रवाल ने जब पटना बिहार को छोड़ा तो उनकी उम्र 20 भी पूरी नहीं हुई थी। 1970 के दशक में उन्होंने कबाड़ की धातुओं की ट्रेडिंग शुरू की और 1980 के दशक में उन्होंने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज की स्थापना कर ली। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज 1990 के दशक में कॉपर को रिफाइन करने वाली देश की पहली प्राइवेट कंपनी बनी।
…I saw a kaali peeli taxi, a double-decker bus & the City of Dreams – all of which I had only seen in the movies. I encourage the youth to work hard & shoot for the stars. Agar aap majboot irade ke saath pehla kadam uthayenge, manzil milna tay hai!
— Anil Agarwal (@AnilAgarwal_Ved) February 15, 2022
यही कंपनी आगे चलकर वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड और अब कहें तो पूरा Vedanta Group बन गई। वेदांता ग्रुप आज के समय देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी खनन कंपनियों में से एक है। ये लौह अयस्क, एल्युमीनियम के साथ-साथ कच्चे तेल के उत्पादन में भी काम करती है। आज वेदांता लिमिटेड का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.36 लाख करोड़ रुपए है. फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक अनिल अग्रवाल की नेटवर्थ करीब 3.9 अरब डॉलर यानी करीब 29,275 करोड़ रुपए है।