न्यूज डेस्क। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 16वां सीजन का रोमांच चरम पर पहुंच चुका है. मौजूदा सीजन में कुल 74 मुकाबलों का आयोजन होना है, जिसमें 4 मई (गुरुवार) तक 47 मुकाबले खेले जा चुके थे. खास बात यह है कि अब भी सभी 10 टीमें प्लेऑफ में पहुंचने की रेस में कायम हैं. आईपीएल के महाकुंभ के बीच ही टीम इंडिया के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने अपने एक बयान से खलबली मचा दी है.
रवि शास्त्री का मानना है कि दुनियाभर में टी20 लीगों की बढ़ती संख्या से द्विपक्षीय क्रिकेट खासकर वनडे प्रारूप को नुकसान हो रहा है. सभी फ्रेंचाइजी का झुकाव खिलाड़ियों को दीर्घकालीन अनुबंध देने पर है. शास्त्री ने कहा कि क्रिकेट फुटबॉल की राह पर जा रहा है और भविष्य में खिलाड़ी सिर्फ वैश्विक टूर्नामेंट ही खेलना चाहेंगे.
फुटबॉल की राह पर जा रहा क्रिकेट: शास्त्री
शास्त्री ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय सीरीज को नुकसान होगा. दुनियाभर में जिस तरह से लीग की संख्या बढ़ रही है, यह फुटबॉल की राह पर जा रहा है. टीमें विश्व कप से पहले एकत्र होंगी, थोड़ा बहुत द्विपक्षीय क्रिकेट खेलेंगी, क्लब टीमों को छोड़ेंगे जो विश्व कप खेलेंगे. आपको पसंद आए या नहीं, लेकिन ऐसा ही होगा.’
शास्त्री ने ईएसपीएन क्रिकइंफो से कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि द्विपक्षीय सीरीज को नुकसान होगा. दुनियाभर में जिस तरह से लीग की संख्या बढ़ रही है, यह फुटबॉल की राह पर जा रहा है. टीमें विश्व कप से पहले एकत्र होंगी, थोड़ा बहुत द्विपक्षीय क्रिकेट खेलेंगी, क्लब टीमों को छोड़ेंगे जो विश्व कप खेलेंगे. आपको पसंद आए या नहीं, लेकिन ऐसा ही होगा.’
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के देश के लिए खेलने पर क्लब को तरजीह देने के बारे में उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह चलन और बढ़ेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगती. लेकिन 50 ओवरों के क्रिकेट को नुकसान होगा.’ देश में एक अरब 40 करोड़ लोग हैं और सिर्फ 11 ही देश के लिए खेल सकते हैं. फिर बाकी क्या करेंगे. उन्हें इस फ्रेंचाइजी क्रिकेट के जरिये दुनियाभर में खेलने का मौका मिल रहा है तो वह क्यों नहीं खेलेंगे. यह उनकी आजीविका है.’
शास्त्री कहते हैं, ‘एक्सपोजर हासिल करने जैसा कुछ नहीं है. वे अपनी खुद की लीग को कितना सुरक्षित रखना चाहते हैं? आपको यह देखना होगा कि वे कहां से आए हैं और ये सही भी है. यह हमारी लीग है और जहां तक हमारा हित है, इस लीग की रक्षा करना सर्वोपरि है. लेकिन कुछ खिलाड़ियों के जाने से लीग पर कोई असर नहीं पड़ेगा.’
न्यूजीलैंड क्रिकेट ने पहले ही यह मान लिया है कि खेल एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और कई खिलाड़ियों के साथ काम किया है. ट्रेंट बोल्ट ने पिछले साल केंद्रीय अनुबंध से बाहर होने का विकल्प चुना था , ताकि दोनों पक्षों को लाभ मिल सके.