हर पेटी में 75 रुपए की होती थी अवैध वसूली, मार्च 2019 में हुई थी बैठक, खुल गया मीटिंग का बड़ा राज

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रायपुर: ईडी ने छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपए के शराब घोटाले में अभी तक दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ईडी ने सोमवार को कहा था कि शराब घोटाले में रायपुर के मेयर एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर मुख्य सरगना है। अनवर फिलहाल ईडी की हिरासत में है। वह 6 मई को एक होटल के पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया था। ईडी ने आरोप लगाया है कि अनवर इस सिंडिकेट का मुख्य संग्रह एजेंट और फ्रंटमैन है। वह शराब व्यवसायियों से कमीशन के रूप में प्रति पेटी 75 रुपए वसूल रहा था।
ईडी ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि देशी शराब की बिक्री पर कमीशन की मात्रा तय करने के लिए अनवर ने मार्च 2019 में एक बैठक बुलाई थी। इसमें शराब व्यवसायियों ने भाग लिया था, जहां डिस्टिलर्स को 75 रुपए का भुगतान करने के लिए कहा गया था। बदले में अनवर ने उनकी लैंडिंग दरों को आनुपातिक रूप से बढ़ाने का वादा किया। इस व्यवस्था पर सहमति बनी और शराब की पेटियों की बिक्री पर सिंडिकेट कमीशन वसूलने लगा।

कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला
तय तरीके से किया गया समझौता
प्रत्येक शराब की पेटी एमडी सीएसएमसीएल द्वारा ही खरीदी गई थी। इसलिए सभी आंकड़े हमेशा उपलब्ध थे और जब तक कमीशन का भुगतान नहीं किया गया। तब तक आसवकों के बकाया का भुगतान नहीं किया गया था। ईडी ने आरोप लगाया, यह एक पूर्व नियोजित समझौता था। इसलिए एक तरह से पार्ट-ए के पूरे आयोग को छत्तीसगढ़ राज्य के खजाने द्वारा प्रायोजित किया गया है।
ED की बड़ी कार्रवाई

अनवर एक मजबूत व्यक्ति
ईडी ने रिमांड पेपर में कहा है कि, अनवर एक मजबूत व्यक्ति है और उसका एक भाई सीबीआई जांच में हत्या के एक मामले में सजायाफ्ता है। अनवर ने पूरे सिंडिकेट को उच्च शक्तियों के निर्देश के अनुसार चलाया। ईडी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक सिंडिकेट काम कर रहा है, जो सरकारी विभागों को नियंत्रित करके रिश्वत के संग्रह में शामिल है। ईडी ने आगे आरोप लगाया है कि इस सिंडिकेट में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, निजी व्यक्ति और राजनीतिज्ञ शामिल हैं।

ईडी के दस्तावेज में कहा गया है कि उद्योग और वाणिज्य विभाग में संयुक्त सचिव, अनिल टुटेजा मामलों का प्रबंधन कर रहे थे। अनवर ढेबर के साथ इस अवैध सिंडिकेट के सरगना थे। उनकी राजनीतिज्ञों से निकटता थी और वह उनका दुरुपयोग कर रहे थे। वे आबकारी विभाग में व्यवस्थित वसूली चला रहे थे। ईडी के सूत्रों ने कहा कि जांच से पता चला है कि आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा था और सैकड़ों करोड़ रुपए एकत्र किए जा रहे थे।