ओबीसी वोट बैंक के किले में तीसरा चरण, BJP और SP के सामने अपने ‘गढ़’ बचाने की चुनौती

0
139

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के 2 चरण पूरे हो चुके हैं. तीसरे चरण का मतदान 20 फ़रवरी को होगा. ऐसे में सभी राजनीतिक दल जनता को अपने पक्ष में करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. सभी पार्टियों के बड़े चेहरे व कद्दावर नेता लगातार चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. ऐसे में तीसरे चरण का मुकाबला दिलचस्प बन गया है.

59 सीट पर होना है मतदान
यूपी विधान सभा चुनाव के तीसरे चरण में 16 ज़िलों की 59 सीटों पर मतदान होना है. तीसरे चरण में जिन सीटों पर चुनाव होना है, वो ओबीसी वोट बैंक का गढ़ माना जाता है. खासतौर पर यादव, लोधी, शाक्य और कुर्मी वोट बैंक का प्रभाव इन इलाकों में है. इस फेज में कई जिले यादव लैंड के तौर पर भी जाने जाते हैं और सपा संरक्षक मुलायम सिंह और अध्यक्ष अखिलेश यादव के गढ़ भी कहलाते हैं.

बीजेपी, सपा के लिए अहम है तीसरा चरण
बीजेपी और सपा दोनों के लिए तीसरे चरण का चुनाव बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहीं से यूपी में आगे की चुनावी दिशा तय हो जाएगी. बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ने तीसरे चरण के चुनाव में पूरी ताकत लगा दी है. तीसरे चरण में यादव वोट बैंक के साथ सबसे निर्णायक गैर यादव ओबीसी वोट हैं.

पिछले चुनाव में बीजेपी को मिली थी बड़ी कामयाबी
दरअसल, तीसरे चरण का चुनाव पश्चिमी यूपी, मध्य यूपी और बुंदेलखंड के 5 जिलों में होगा. इनमें हाथरस, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, औरेया, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर शहर, झांसी, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन, महोबा आदि जिलों में वोटिंग होनी है. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने इन 59 सीटों में से 49 सीटें जीती थी. सपा मात्र 8 सीट जीत पाने में कामयाब हो पाई थी. वहीं, कांग्रेस और बीएसपी 1-1 सीट ही जीत पाई थी.

2017 के चुनाव में यादव वोट का हुआ था बंटवारा
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के परिवार की लड़ाई का खूब फायदा उठाया था और यादव लैंड में वोटों का जबरदस्त बंटवारा किया था. यही कारण है कि इस बेल्ट में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था. 2017 के चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को पूरी तरह साथ लाने में कामयाब रही थी. 2017 की ही रणनीति बीजेपी 2022 में अपनाने की कोशिश कर रही है. तीसरे चरण में बीजेपी गैर यादव ओबीसी वोट बैंक लोधी, कुर्मी, शाक्य को अपने साथ रखना चाहती है, ताकि यहां से उसे बढ़त मिल सके. यही कारण है कि बीजेपी ने इस इलाके में लोधी समाज को सबसे ज्यादा टिकट दिया है. इस इलाके में कल्याण सिंह के नाम पर लोधी वोट बीजेपी के साथ जुड़ा है.

इस बार यादव वोट का मुश्किल है बंटवारा
वहीं, बीजेपी यह जानती है कि यादव वोट का इस बार जरा सा भी बंटवारा नहीं होगा, लेकिन इसके बावजूद हरिओम यादव जैसे सपा के बागियों को फिरोजाबाद की सिरसागंज सीट से चुनाव लड़ाया गया है. जबकि, अखिलेश यादव के खिलाफ एसपी सिंह बघेल को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

बीजेपी पिछले चुनाव के समीकरण को चाहती है भुनाना
तीसरे चरण की 59 सीटों में से बीजेपी ने 21 OBC, 12 दलित, 10 ब्राह्मण, 8 ठाकुर और 1 सिंधी समाज के नेताओं को टिकट दिया है. 21 OBC में से सबसे ज्यादा 9 टिकट लोधी समाज से, तो 4 टिकट शाक्य और 3 टिकट कुर्मी समाज को दिया गया है. तीसरे चरण की गंभीरता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन सीटों पर चुनाव प्रचार भी किया है. बीजेपी अपने 2017 के पुराने फ़ॉर्मूले से 2022 का सियासी समीकरण साधने की भी कोशिश कर रही है. बीजेपी को यह लगता है कि सवर्ण वोट उसके साथ रहेगा.

सपा भी गैर यादव वोट को साधने की कर रही कोशिश
वहीं, समाजवादी पार्टी की बात करें, तो पार्टी के सामने 2012 वाले प्रदर्शन को दोहराने की परीक्षा है. समाजवादी पार्टी ने इस बेल्ट में सबसे पहले अपने कोर यादव वोट बैंक को सहेजने और फिर गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में लाने की बड़ी रणनीति तैयार की है. अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के साथ हाथ मिलाया और शिवपाल यादव इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 के चुनाव में शिवपाल यादव ने इस फेज की कुछ सीटों पर सपा को नुकसान पहुंचाया था. वहीं, अखिलेश यादव ने इस बार यादव टिकट कुछ कम कर, गैर यादव ओबीसी के नेताओं को टिकट दिया है.

सपा ब्राह्मण वोट को पक्ष में करने की कर रही कोशिश
समाजवादी पार्टी ने यहां पर शाक्य, पाल, प्रजापति, लोधी समाज के नेताओं पर दांव लगाया है, ताकि बीजेपी से गैर यादव ओबीसी वोट बैंक को अपने पाले में ला सके. समाजवादी पार्टी ने इस फेज की 59 सीटों में से 28 OBC, 15 दलित, 5 मुस्लिम, 5 ब्राह्मण, 2 ठाकुर, 2 बनिया/कायस्थ और 1 सिख नेता को टिकट दिया है. सपा ने यहां पर सबसे ज्यादा टिकट ओबीसी नेताओं को दिया और फिर पहली बार यादव लैंड में सपा ने 5 ब्राह्मण नेताओं को एक साथ टिकट दिया है. दरअसल सपा को लगता है कि बीजेपी से नाराज ब्राह्मण वोट उनके साथ आ सकता है.

सपा ने किया महान दल से गठबंधन
दरअसल, सपा तीसरे चरण के चुनाव में यादव+मुसलमान के साथ शाक्य, पाल, प्रजापति और लोधी वोट के बड़े हिस्से को अपने साथ लाना चाहती है. यही कारण है कि सपा ने महान दल के साथ गठबंधन किया है. महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य की पत्नी सुनीता शाक्य भी फर्रुखाबाद सदर सीट से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्य भी इस बेल्ट में काफी सक्रिय दिख रहे हैं.

चुनाव के लिए जोर लगा रही सपा
यह फेज सपा के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां पर अखिलेश एक दिन में 10-10 चुनावी रैलियां कर रहे हैं. तीसरे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले इटावा में मुलायम-अखिलेश- शिवपाल ने एक साथ रथयात्रा निकाली, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि परिवार एक है और वोटों में कोई बंटवारा ना हो सके. तीसरे चरण में ही मैनपुरी की करहल सीट भी आती है, जहां से खुद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं. ये भी सपा की रणनीति का एक हिस्सा है, ताकि आसपास की सीटों पर इसका असर पड़ सके.

एक-दूसरे के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रहीं पार्टियां
तीसरे चरण के चुनाव को आप दो हिस्सों में बांटकर आसानी से यहां की चुनावी गणित को समझ सकते हैं. पहला हाथरस से कन्नौज तक जो कि सपा का गढ़ कहा जाता है और दूसरा कानपुर से लेकर बुंदेलखंड तक जो बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. इस समय सपा और बीजेपी दोनों अपने गढ़ को बचाने के साथ एक दूसरे के गढ़ में सेंधमारी की भी भरपूर कोशिशें कर रही हैं.अब देखना यह होगा कि तीसरे चरण में 59 विधानसभा सीटों पर जनता किसके पक्ष में मतदान करेगी और किसे यूपी का सिंहासन सौंपेंगी ?