कंधार हाईजैक कांड : हाइजैकर मिस्त्री जहूर इब्राहिम उर्फ जमाली की कराची शहर में गोली मारकर हत्या

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नई दिल्ली। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस के प्लेन IC-814 को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हाइजैक कर लिया था। दो दशक बाद अब रुपिन कत्याल के परिवार को इंसाफ मिला है। रुपिन की हत्या करने वाले हाइजैकर मिस्त्री जहूर इब्राहिम उर्फ जमाली (Zahoor Mistry IC 814) को पाकिस्तान के कराची शहर में अज्ञात हमलावरों ने 1 मार्च को गोली मार दी।

बता दें कि, जैश के आतंकियों ने तीन आतंकियों की रिहाई के बदले 178 यात्रियों की जान का सौदा किया था। भारत सरकार ने यात्रियों को बचाने के लिए तीनों आतंकियों को छोड़ दिया लेकिन दहशतगर्दों ने 25 दिसंबर 1999 को विमान में सवार एक यात्री रुपिन कत्याल की हत्या कर दी।

दो आतंकी अब भी जिंदा

इब्राहिम की हत्या के बाद भी जैश के पांच अपहरणकर्ताओं में से दो आतंकी अब भी पाकिस्तान में जीवित हैं। इनमें मसूद अजहर का बड़ा भाई इब्राहिम अजहर और रउफ असगर हैं। यह जहूर मिस्त्री ही था, जिसने धारदार हथियार से 25 साल के रुपिन कत्याल की बड़ी निर्ममता से हत्या कर दी थी। उनका शव यूएई में उसी प्लेन से बरामद हुआ था। वह काठमांडू में हनीमून मनाकर अपनी पत्नी के साथ दिल्ली लौट रहे थे। उनकी हत्या के दो साल बाद उनकी पत्नी ने दोबारा शादी कर ली थी।

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवाद निरोधक एक्सपर्ट ने बताया है कि पाकिस्तान में केवल इब्राहिम अजहर और एक अन्य आतंकी ही जीवित बचे हैं। ऐसा माना जाता है कि एक हाइजैकर की स्वाभाविक कारणों से मौत हो चुकी है। एक अन्य हाइजैकर को 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराया था।
अंतिम संस्कार में शामिल हुए जैश-ए-मोहम्मद के बड़े आतंकी

बताया जा रहा है कि जहूर मिस्त्री के अंतिम संस्कार में जैश-ए-मोहम्मद के बड़े आतंकी शामिल हुए थे। 1999 के बंधक संकट को खत्म करने के लिए भारत को मसूद अजहर, उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर जैसे खूंखार आतंकियों को रिहा करना पड़ा था। रिहा किए जाने के बाद अजहर तालिबान के तत्कालीन चीफ मुल्ला उमर से मिला और पाकिस्तान चला गया।

क्या हुआ था इंडियन एयरलाइंस के फ्लाइट नंबर IC-814 के साथ

इंडियन एयरलाइंस के IC-814 प्लेन का आतंकियों ने नेपाल से अपहरण कर लिया गया था। इस प्लेन को वे अफगानिस्तान के कंधार में उतारने से पहले अमृतसर, लाहौर और दुबई लेकर गए। तब अफगानिस्तान में तालिबान का राज था। उन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों की पूरी मदद की थी और बाकायदे उन्हें सुरक्षा प्रदान किया था।

पाकिस्तान पहुंचने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन बनाया था और 2001 में श्रीनगर और भारतीय संसद पर हमले हुए। उसने 2005 में राम जन्मभूमि मंदिर में भी आत्मघाती हमले की कोशिश की लेकिन वह अटैक नाकाम हो गया।