कोरबा। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भाजपा पार्टी के भीतर चल रहे गुटबाजी को साधने ने सफल हो गई है। पार्टी के अंदरखाने में अलग अलग गुट में बंटे नेता और कार्यकर्ता एकजुट हो गए है। पार्टी लीडरो के एकजुट होने से शहर का समीकरण बदलता दिख रहा है। हालांकि अभी भी मतदाताओं के जहन के एक बात कौंध रही है क्या भाजपा पंजे के हाथ को मरोड़ पाएगी या फिर से कांग्रेस की जयजयकार होगी।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुमार कोरबा सीट में इस मुकाबला दिलचस्प होता दिखा रहा है। टिकट नहीं मिलने नाराज पूर्व सांसद बंशीलाल महतो के पुत्र एवं पार्टी के युवा चेहरा विकास महतो को पार्टी मानने में सफल होती दिख रही है। बता दें कि कोरबा में दो दिन बाद 17 नवंबर को मतदान होना है।
इससे पहले चुनाव में प्रचार में बीजेपी प्रत्याशी लखनलाल देवांगन अकेले ही जूझते दिख रहे थे। मगर अब विकास महतो का साथ बीजेपी उम्मीदवार को मिलने लगा है। विकास की चुनाव में अचानक हुई एंट्री पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प होगा। हार जीत का अंतर कितना होगा इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता जा रहा है।
बता दें कि जिले में परिसीमन के बाद जब से कोरबा जिले में तीन से बढ़ कर चार विधानसभा सीट हुई हैं, तब से तीन सीट पर कांग्रेस व एक पर भाजपा का कब्जा रहा है। लगातार तीन बार यही स्थिति रही और अब देखना यह है कि चौथी बार होने वाले इस विधानसभा चुनाव में यह मिथक टूटेगा या फिर बरकरार रहेगा। एक और संयोग यह है कि कोरबा विधानसभा के गठन के बाद से यहां कांग्रेस से जयसिंह अग्रवाल विधायक बनते आ रहे हैं। कोरबा विधानसभा के इस अभेद किला ढहाने भाजपा हर बार नए चेहरे पर दांव लगाती है।
बताते चले कि 2008 में परिसीमन में नगर निगम के वार्ड अंतर्गत कोरबा विधानसभा सीट का गठन किया गया। कांग्रेस ने यहां से जयसिंह अग्रवाल को मैदान में उतारा, तो भाजपा ने बनवारी लाल अग्रवाल पर दांव खेला, पर जयसिंह की विजय हुई। यही स्थिति वर्ष 2013 के चुनाव में बनी और कांग्रेस ने दोबारा जयसिंह को टिकट प्रदान की। इस बार यहां भाजपा ने महापौर रहे जोगेश लांबा को मैदान में उतारा, पर भाजपा पुन: पराजित हो गई।
तीसरी बार वर्ष 2018 में कांग्रेस ने दो बार के विधायक रहे जयसिंह अग्रवाल पर विश्वास जताते हुए मैदान में उतारा, तो भाजपा ने पिछड़ा वर्ग का कार्ड खेलते हुए विकास महतो के रूप में नया चेहरा खड़ा किया। अग्रवाल ने पार्टी के विश्वास को कायम तीसरी बार जीत हासिल की। इस तरह भाजपा ने तीनों बार नया चेहरा सामने लाया, पर तीनों बार जयसिंह अग्रवाल की जीतते रहे।
जानकारों को कहना है कि हर स्थिति यह रही कि पार्टी के लोग अपने प्रत्याशी को जिताने जमीनी स्तर पर कार्य नहीं कर सके। अब भाजपा ने एक बार फिर नए चेहरे के रूप में नगर निगम के पूर्व महापौर व पूर्व संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन को टिकट दिया है। अब देखना यह है कि लखन, कांग्रेस के इस किला को भेद पाते हैं अथवा नहीं।