कोरबा विधानसभा : मोर संग चलव जी मोर संग चलव गा…

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कोरबा। प्रसिद्ध फ़िल्म आनंद के इस दर्द भरे मीठे गीत “कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते कहीं से निकल आए, जनमों के नाते..”  कोरबा विधानसभा के फूल छाप प्रत्याशी पर सटीक बैट रहा है। कहते है कि बुरे वक्त आता है तो परछाई भी साथ छोड़ देती है लेकिन यहां उल्टा है, जब अच्छे दिन आने की उम्मीद बन रही है तो अपने साथ छोड़ रहे है।

नामचीन चेहरे उम्मीदवार के उम्मीद पर पानी फेरने में कोई कसर नही छोड़ रहे है।इसके बाद भी भाजपा प्रत्याशी लक्ष्मण मस्तुरिया के प्रसिद्ध आह्वान गीत

” मोर संग चलव जी मोर संग चलव गा..ओ गिरे थके हपटे मन अऊ परे डरे मनखे मन..मोर संग…” की भावना के साथ अपने और अपनों को मनाने का काम रहे है।

सिक्कों की खनक और नोटों की आंच

वैसे तो कोरबा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ रहा है लेकिन विधानसभा में सिक्को की खनक से कांग्रेस विजयी होती रही। सिक्के की खनक सिर्फ मतदाताओं को ही लुभाती है ऐसी बात नही है ,बल्कि जब ये सिक्का नोट बनता है भाजपाइयों को भी खूब भाता है और तमाम तरह के पार्टी हाईकमान के आदेश निर्देश का पालन करने के बाद भी सिकलसेल को एक्टिव कर भाजपा को हराने और कांग्रेस को जीताने का काम करते है।

टिकट की घोषणा के बाद नाराज उन तमाम नेताओ को पुरानी याद ताजा करना चाहिए जब घोषित प्रत्याशी जो कभी पैराशूट बनाकर दूसरे विधानसभा क्षेत्र में उतार दिए गए थे। जहां चीर परिचित अंदाज में कांग्रेस के अजेय योद्धा को परास्त किया। जिनके क्षेत्र को पार्टी का अभेद किला माना जाता था। अब कांग्रेस के एक और किले को ढहाने की बारी आई तो उनके अपने ही उनके राहों पर कांटे उड़ेलने लगे है।