- The Duniayadari-कोरबा जिले में खनिज न्यास मद (DMF) फंड से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। करीब 400 करोड़ रुपये के इस आर्थिक घोटाले में आदिवासी विकास विभाग की पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर, तत्कालीन सहायक अभियंता, उप अभियंता, डाटा एंट्री ऑपरेटर और चार ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
माया वारियर फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं, वहीं अन्य आरोपियों से पूछताछ जारी है। जांच रिपोर्ट के अनुसार यह पूरा मामला कांग्रेस शासनकाल में सामने आया, जब रानू साहू कोरबा जिले की कलेक्टर थीं। आरोप है कि उन्हीं के संरक्षण में यह घोटाला अंजाम दिया गया।
घोटाले का तरीका: कागजों पर मरम्मत, फर्जी भुगतान
वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार ने कोरबा जिले के जर्जर छात्रावासों और आश्रमों की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की थी। इसके बावजूद समानांतर रूप से DMF फंड से भी भारी राशि मंजूर की गई।
जांच में सामने आया कि 80 लाख रुपये के चार कार्य शुरू ही नहीं हुए, फिर भी उनका पूरा भुगतान कर दिया गया। वहीं जिन कार्यों को “पूरा” दिखाया गया, उनकी गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। भौतिक सत्यापन के बिना ही कमीशनखोरी के चलते फर्जी बिलों पर भुगतान कर दिया गया।
ठेकेदारों को मनमाना फायदा
करीब 3.83 करोड़ रुपये के 34 कार्यों का ठेका सिर्फ चार कंपनियों को दिया गया:
- मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स – ₹73.28 लाख (9 कार्य)
- मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स – ₹1.14 करोड़ (9 कार्य)
- मेसर्स एस.एस.ए. कंस्ट्रक्शन – ₹49 लाख (6 कार्य)
- मेसर्स बालाजी इंफ्रास्ट्रक्चर कटघोरा – ₹1.47 करोड़ (10 कार्य)
जांच अधिकारियों ने बताया कि इन कार्यों से संबंधित कोई दस्तावेज विभागीय कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। सारे भुगतान फर्जी दस्तावेजों और वाउचर के जरिए किए गए।
डाटा एंट्री ऑपरेटर और इंजीनियर भी आरोपी
इस घोटाले में डाटा एंट्री ऑपरेटरों की भी मिलीभगत सामने आई है, जिन्होंने ऑनलाइन सिस्टम में हेरफेर कर फर्जी प्रमाणपत्र तैयार किए। विभागीय अभियंताओं और माया वारियर ने मिलकर यह सारा खेल रचा।
पुलिस कार्रवाई और आगे की जांच
कोरबा कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन रामपुर थाने में आर्थिक अनियमितता, भ्रष्टाचार और सरकारी दस्तावेज गायब करने का मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और प्रशासन का दावा है कि जल्द ही और बड़े नामों का खुलासा होगा।
राजनीतिक हलचल तेज
इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज है। विपक्ष का आरोप है कि इस घोटाले में उच्चस्तरीय राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और बिना नेताओं की संलिप्तता के इतनी बड़ी रकम का गबन संभव नहीं।
जिला प्रशासन का दावा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
संभावित घोटाले की राशि – ₹400 करोड़
अब तक स्पष्ट अनियमितता – ₹3.83 करोड़
जेल में – माया वारियर (पूर्व सहायक आयुक्त)
FIR दर्ज – अभियंता, डाटा एंट्री ऑपरेटर और चार ठेकेदारों के खिलाफ
जांच जारी, और नामों के खुलासे की संभावना