कोरबा। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग की तकनीकी स्वीकृति के आधार पर ट्रायबल डिपार्टमेंट ने फिर एक बार फिर घोटाला कर मलाई पर मुंह मारने की मंशा के साथ निविदा जारी की है, जबकि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि आरईएस की तकनीकी स्वीकृति सिर्फ पंचायत विभाग के लिए लागू होगा। इससे जाहिर है कि आदिवासी विभाग के अधिकारी कायदे को ताक में रखकर फायदे के लिए बड़ा खेला करने की फिराक में है।
बता दें कि आदिवासी विभाग फिर से टेण्डर घोटाले की स्क्रिप्ट रच रहा है। निविदा प्रक्रिया के नियमों की माने तो जब तक किसी भी कार्य के टीएस यानी तकनीकी पक्ष को सम्पूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद जब तक स्वीकृति नही मिलती तब तक निविदा जारी नही किया जा सकता।
इसके बाद भी नियम विरुद्ध ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग के कार्यपालन अभियंता से टीएस कराकर आनन-फानन में टेंडर निकाला गया है। इससे विभाग की मंशा के साथ ही अनियमित-अनियंत्रित कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। वही टेक्निकल एक्सपर्ट की मानें तो 40 लाख तक के कार्यो के लिए कार्यपालन अभियंता का अनुमोदन रहता है जबकि 40 लाख के ऊपर के कार्यो में अधीक्षण अभियंता की अनुमति आवश्यक है।
क्या है आदेश..?
पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभाग से जारी आदेश में स्पष्ट निर्देश है कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा यानी आरईएस का स्टीमेट सिर्फ ग्राम पंचायत और पंचायत विभाग के कार्यो में ही लागू होगा और अन्य विभागों के निर्माण कार्यो में उनके द्वारा निर्धारित किये गए तकनीकी स्वीकृति मान्यता की परिधि में नहीं आएंगे। इसके बाद भी आरईएस की तकनीकी स्वीकृति पर निविदा जारी करना गंभीर और दंडनीय है।
टीएस के लिए समक्ष नही तो मूल्यांकन कैसे
शासन की गाइडलाइन के अनुसार तकनीकी स्वीकृति देने वाले विभाग के सक्षम अधिकारियों के द्वारा मूल्यांकन और सत्यापन किया जाता है लेकिन ट्राइबल डिपार्टमेंट में न तो सक्षम इंजीनियर है और न ही सत्यापन के लिए शासन के गाइडलाइन के अनुसार विशेषज्ञ एक्जकेइटिव इंजीनियर तो नियमानुसार मूल्यांकन और सत्यापन पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है।
निर्माण शाखा विवादों में
ट्राइबल डिपार्टमेंट के निर्माण शाखा में जब जब अरुण दुबे पदस्थ रहे है तब-तब अपने नीजि लाभ के लिए के शासन के नियमों से छेड़खानी करने का आरोप उन पर लगता रहा है। इसके बाद भी उन्हें उसी कुर्सी में बैठाना समझ से परे है।
पीडब्ल्यूडी के नियमो का करते है पालन- ई ई
“आदिवासी विभाग में होने वाले निर्माण कार्यो के लिए आरईएस डिपार्टमेंट का टीएस मान्य नही है। अब तक लोक निर्माण विभाग के प्राक्कलन व टीएस पर कार्य होता रहा है। कोरबा में लगे आत्मानन्द स्कूल निर्माण के लिए आरईएस का टीएस किस आधार पर लिया गया समझ से परे है।”
टी चक्रवर्ती, कार्यपालन अभियंता आदिवासी विभाग रायपुर