जरूरत अनुरूप बिजली संयंत्रों में पर्याप्त कोयला, बीते साल इसी अवधि की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक स्टॉक

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0 कोयला मंत्रालय का दावा, वर्तमान में 33.46 मिलियन टन तक भंडारण

0 एसईसीएल ने इस वर्ष अब तक के सबसे तेज गति से 50 मिलियन टन प्रेषण को छुआ, कोयले की कमी के चलते कोई भी संयंत्र बंद नहीं हुए

0 इस वर्ष तापीय विद्युत उत्पादन में वृद्धि केवल 2.04 प्रतिशत है, जबकि कोयले के उत्पादन में वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही

कोरबा। कोयला मंत्रालय का दावा है कि बिजली संयंत्रों की उत्पादन आवश्यकता के अनुरूप उनके पास वर्तमान स्थिति में पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। पिछले वित्तीय वर्ष से तुलना करें तो इसी अवधि में 28 प्रतिशत अधिक भंडारण मौजूद है, जो 33.46 मिलियन टन है। एक ओर एसईसीएल ने इस वर्ष अब तक के सबसे तेज गति से 50 मिलियन टन प्रेषण को छुआ तो दूसरी ओर भारतीय रेलवे द्वारा पर्याप्त रेक उपलब्ध कराई जा रही है। इन प्रयासों के बूते ताप विद्युत संयंत्रों के पास कोयला जरूरत की पूर्ति करने पर्याप्त इंतजाम मौजूद हैं। इस वर्ष कोयले की अनुपलब्धता के कारण कोई भी विद्युत संयंत्र बंद नहीं हुए और जो हुए, उनके बंद होने के पीछे कोई वजह रही है।

कोयला मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश के ताप विद्युत संयंत्रों (टीपीपी) के लिए कोयला पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। 16 जुलाई तक ताप विद्युत संयंत्रों का कोयला स्टॉक 33.46 मिलियन टन (एमटी) था, जो पिछले वित्तीय वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 28 प्रतिशत अधिक है। एसईसीएल ने वित्तीय वर्ष 23-24 में अब तक 50 मिलियन टन कोयला डिस्पैच हासिल कर लिया है। कंपनी की स्थापना के बाद से यह अभी तक का सबसे कम समय में हासिल किया गया 50 एमटी डिस्पैच का आंकड़ा है। पिछले वर्ष कंपनी ने समान अवधि में लगभग 44 मिलियन टन कोयला डिस्पैच किया था और इस प्रकार इस वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। उपरोक्त में सर्वाधिक 40 मिलियन टन कोयला पावर सेक्टर को डिस्पैच किया गया है। गर्मी के मौसम में विद्युत संयन्त्रों को रिकॉर्ड कोयले की आपूर्ति की गई जिससे पावर प्लांट्स में कोयले की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित हो सकी है। कोयला मंत्रालय द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि कोयले की अनुपलब्धता के कारण किसी भी बिजली संयंत्र को बंद नहीं किया गया है। इसके अलावा जो संयंत्र बंद हुए हैं, वे किन्हीं अन्य कारणों से बंद हुए हैं। भारत सरकार के कोयला मंत्रालय से 18 जुलाई को जारी आधिकारिक प्रेस रिलीज पर आधारित एसईसीएल से जुड़े आंकड़े सम्बंधित कम्पनी दवारा उपलब्ध कराए गए हैं।

पिछले वर्ष के 76.85 एमटी की तुलना में 103 एमटी है, जो 34 प्रतिशत अधिक

खदान के अंत में पिटहेड कोयला स्टॉक, पारगमन में स्टॉक और टीपीपी सहित सभी स्थानों पर कोयले की उपलब्धता पिछले वर्ष के 76.85 एमटी की तुलना में 103 एमटी है, जो 34 प्रतिशत अधिक है। कोयला मंत्रालय सभी केंद्रीय और राज्य की विद्युत उत्पादन कंपनियों के साथ भी निकटता से समन्वय कर रहा है और बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की कोई कमी नहीं है। जहां तक रेलवे रेक की उपलब्धता का सवाल है, रेल मंत्रालय द्वारा सभी सहायक कंपनियों के लिए पर्याप्त रेक उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिससे ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के स्टॉक की पर्याप्त उपलब्धता का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। कोयला, रेल और बिजली मंत्रालय सभी ताप विद्युत संयंत्रों के लिए कोयले की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निकट समन्वय में काम कर रहे हैं।

खासकर मानसून के लिए खदान-वार अग्रिम योजना

कोयला मंत्रालय ने यह भी कहा है कि जुलाई 2023 के दौरान उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में काफी अधिक रहा है। दरअसल, वर्षा के कारण कोयले के उत्पादन पर बहुत ही मामूली असर पड़ा है। यह मानसून ऋतु के लिए खदान-वार अग्रिम योजना के माध्यम से संभव हुआ है। कोयला कंपनियों ने बड़ी खदानों से निर्बाध निकासी के लिए सीमेंटेड सड़कों का निर्माण किया है। मशीनीकृत कोयला हैंडलिंग संयंत्रों के माध्यम से नौ कोयला खदानों से रेलवे साइडिंग तक परिवहन शुरू किया गया है। कोयला कंपनियों ने ऊपरी परतों से कोयला निकालने की भी योजना बनाई है, जिसके फलस्वरूप 1 अप्रैल से 16 जुलाई 2023 तक कोयला उत्पादन 258.57 मिलियन टन (एमटी) रहा है, जबकि पिछले साल यह 236.69 एमटी था। वहीं, बिजली क्षेत्र को भेजा गया कोयला पिछले साल के 224 एमटी के मुकाबले इस साल 233 एमटी रहा है। वास्तव में पर्याप्त उपलब्धता के कारण, कोयला कंपनियों ने इस अवधि के दौरान गैर-विनियमित क्षेत्र को भारी अतिरिक्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति की है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि इस वर्ष तापीय विद्युत उत्पादन में वृद्धि केवल 2.04 प्रतिशत है, जबकि कोयले के उत्पादन में वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही है।