जाम नहीं ‘धुएं’ में डूब रहा आज का युवा, जानिए क्यों और कैसे बदल गई ये गलत लत

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दिल्ली।मय (शराब) के दीवानों के लिए ये शेर जाना-पहचाना है, अब्दुल हमीद अदम की गज़ल की इन पंक्तियों को ना जाने कितने गानों, कव्वालियों, शायरियों में इस्तेमाल किया जा चुका है. जहां खुशी, ग़म, दोस्ती, मोहब्बत को सेलिब्रेट करने के लिए शराब का सहारा लिया जाता है. हिन्दुस्तान में शराब के शौकीन बहुत हैं और ये शौक नया नहीं है, सदियों से चला आ रहा है.

लेकिन, अब इसमें एक बदलाव आने लगा है. जैसे-जैसे Gen-Z यानी नई सदी में पैदा हुए लोग नशा करने की उम्र पार करने लगे हैं, देश में एक नया ट्रेंड में देखने को मिला है. ये ट्रेंड है शराब से दूरी का, या यूं कहे कि शराब की बजाय किसी और रास्ते निकल जाने का. कोरोना काल के बाद इस ट्रेंड ने रफ्तार पकड़ी है, जहां लोग अब शराब को छोड़ गांजा/चरस/भांग जैसे नशीले पदार्थ की ओर रुख कर रहे हैं.

भारत में गांजे का सेवन अभी भी अवैध है, लेकिन इसके बावजूद देश में गांजे का सेवन करने वालों की संख्या करोड़ों में है. तमाम रोक, कानून के बाद भी ये ट्रेंड रफ्तार पकड़ रहा है और अब मयखाने की लत नहीं बल्कि ‘हाई’ होने की इच्छा लोगों को दीवाना बना रही है. ये ट्रेंड कैसा है, कितनी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, भारत में गांजे को लेकर किस तरह की बहस चल रही है, इन सभी बातों को समझने की कोशिश करते हैं.