The Duniyadari: सुकमा- कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देशन तथा सीएमएचओ डॉ एसएस सिंह के मार्गदर्शन में टीबी रोग को जड़ से मिटाने के लिए जिले में अभियान चलाया जा रहा है। स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है और टीबी के संभावित लक्षण मिलने पर तत्काल जांच और इलाज प्रारम्भ किया जा रहा है।
दवा के नियमित सेवन से रंजिता हुई पूर्ण स्वस्थ :
बीमारी के लक्षण :
तपेदिक एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन मस्तिष्क, गुर्दे और हड्डियों जैसे शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है। टीबी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर हवा में मौजूद बूंदों के माध्यम से फैलता है। हालाँकि इसे रोका जा सकता है और इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन टीबी दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। टीबी रोग से ग्रसित मरीज कमजोर हो जाता है एवं इलाज नहीं करवाने की स्थिति मे मरीज की मौत भी हो सकती है। टीबी का प्रमुख लक्षण एक सप्ताह से ज्यादा खांसी, भूख का ना लगना, चढ़ता उतरता बुखार वजन का कम होना, गले में गांठ का होना है। यदि किसी व्यक्ति को यह लक्षण दिखे तो अपने बलगम की जांच नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में अवश्य करायें। जो बिल्कुल निःशुल्क उपलब्ध है। केंद्र सरकार ने इस बीमारी को अभियान चलाकर 2025 तक उन्मूलन करने का संकल्प लिया है।
जिला पीपीएम समन्वयक टीबी नवीन पाठक ने बताया कि सुकमा जिले मे वर्ष 2025 मे टीबी मरीजों के जांच का लक्ष्य 7658 में से जुलाई 2025 तक 5563 लोगों के बलगम का जांच अत्याधुनिक मशीन ट्रूनेट एवं सीबीनेट द्वारा किया गया है जो लक्ष्य का 120% है। मरीज खोज का लक्ष्य 600 मरीजों का है जिसमें जुलाई 2025 तक 367 मरीजों को खोज कर इलाज प्रारंभ किया गया है जो लक्ष्य का 105% है। निक्षय पोषण योजना के तहत 202 मरीजों को निक्षय पोषण योजना का लाभ दिया गया है जो लक्ष्य का 55% है। वर्ष 2025 में मरीजों के स्वस्थ्य होने की दर 91%है।