दिन में हुई बाबा महाकाल की भस्म आरती, साल में एक बार दिखता है ये नजारा; उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़…

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देशभर के शिव मंदिरों में भले ही महाशिवरात्रि का पर्व बीत चुका हो, लेकिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अभी भी महाशिवरात्रि महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज गुरुवार की दोपहर 12 बजे भगवान महाकाल की भस्म आरती हुई. महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा ने कहा कि मंदिर में महाशिवरात्रि महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. शिव नवरात्रि के तहत नौ दिनों तक भगवान महाकाल को दूल्हा बनाया जाता है.

इसके बाद महाशिवरात्रि पर्व पर राजाधिराज भगवान महाकाल का सेहरा सजाया जाता है. आज सुबह ही श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल का भव्य सेहरा सजाकर पूजन अर्चन किया गया, जिसके बाद बाबा महाकाल की भस्म आरती की गई. इस दिव्य भस्मारती को देखने के लिए दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे थे.

पंडित महेश शर्मा के मुताबिक, भगवान महाकाल का महाशिवरात्रि पर्व पर सेहरा सजाया जाता है. बाद में प्रात: काल सेहरे के दर्शन होते हैं. यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. इसी वजह से महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भस्म आरती दोपहर में संपन्न होती है. इस आरती के साथ महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व का समापन हो जाता है. बाबा महाकाल को यह भस्म महानिवार्णी अखाड़े के महंत विनीत गिरी के द्वारा अर्पित की गई.

अनोखी है वर्ष में एक बार होने वाली भस्म आरती

12 ज्योतिलिंर्गों में से एक महाकाल मंदिर में भस्म आरती ही बाबा महाकाल का मुख्य श्रृंगार है, जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रृद्धालु आते हैं. वैसे तो भस्म आरती प्रतिदिन तड़के चार बजे की जाती है, लेकिन साल में सिर्फ महाशिवरात्रि के बाद वर्ष में एक दिन ऐसा होता है जब महाकाल की भस्म आरती का समय तड़के चार बजे से बदलकर दोपहर 12 बजे किया जाता है. इस दिन महाकाल मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं.

पंचामृत अभिषेक से हुई पूजन की शुरुआत

भस्म आरती के पहले मंदिर के पूजारियों ने महाकालेश्वर का दूध, दही, शहद, पंचामृत और फलों के रस सहित विभिन्न द्रव्य पदार्थों से महाकाल को स्नान करवाया. जिसके बाद बाबा महाकाल का भव्य, आकर्षक श्रृंगार किया गया. बाबा महाकाल को इस दौरान एक विशेष पगड़ी पहनाई गई और विधि-विधान से बाबा महाकाल की भस्मारती की गई.

शयन आरती तक खुले रहेंगे महाकाल के पट

बाबा महाकाल को महाशिवरात्रि के अगले दिन सेहरा सजाकर दुल्हा बनाया जाता है. सेहरा दर्शन के उपरांत वर्ष में एक बार दिन में 12 बजे होने वाली भस्म आरती हुई. भस्म आरती के बाद भोग आरती और फिर शिवनवरात्रि का पारणा किया जाएगा. सायं पूजन, श्रृंगार, सायं आरती व शयन आरती के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर जी के पट मंगल होंगे. याद रहे कि महाशिवरात्रि पर श्री महाकालेश्वर मंदिर के पट लगभग 44 घंटे के लिए खुले रहते हैं.