दो बोतल वोदका, काम मेरा रोज का… भारत में पीने वालों की कितनी बढ़ गई प्यास, देखिए जरा

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नई दिल्ली। कोरोना के साये से इकॉनमी निकलने लगी हे तो लोगों का पीना भी बढ़ गया है। स्थिति यह है कि देशी शराब के मुकाबले लोग विदेशी शराब ज्यादा पसंद कर रहे हैं। पिछले साल व्हिस्की, ब्रांडी, रम, जिन और वोदका सभी की मांग बढ़ी है। तभी तो साल 2022 के दौरान देश भर में 388 मिलियन केस शराब बिकी है। इसे लीटर में बदलें तो यह 3,42,00,00,000 लीटर बनती है। यह एक साल पहले के मुकाबले 12 फीसदी ज्यादा है। एक साल में 388 मिलियन केस शराब की बिक्री बीते चार साल का उच्चतम स्तर है।

प्रीमिय शराब की बढ़ रही है बिक्री

इस समय बाजार में प्रीमियम मतलब कि महंगी शराब की बिक्री बढ़ रही है। कोरोना काल में शराब की बिक्री तो जारी थी, लेकिन प्रीमियम स्पिरिट की बिक्री घट गई थी। अब वैसी बात नहीं है। तभी तो बीते साल जितनी व्हिस्की बिकी, उसमें से प्रीमियम पोर्टफोलियो की हिस्सेदारी 20 फीसदी हो गई। मतलब कि व्हिस्की की हर पांचवी बोतल प्रीमियम कैटेगरी की थी। पिछले साल इस श्रेणी में ऐसी बिक्री नहीं देखी गई थी। उल्लेखनीय है कि शराब के एक केस में 750 मिलीलीटर वाली 12 बोतलें होती है। मतलब कि एक पेटी में नौ लीटर शराब।

क्यों बढ़ रही है मांग

कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बीवरेज कंपनीज (CIABC) के अध्यक्ष विनोद गिरी का कहना है कि प्रीमियम शराब की मांग बढ़ने के पीछे लोगों की आमदनी का बढ़ना रहा है। दिल्ली का उदाहरण देते हुए वह बताते हैं कि इस समय दिल्ली में व्हिस्की की हर पांचवी बोतल प्रीमियम श्रेणी वाली है। उनका कहना है कि दिल्ली में प्रीमियम व्हिस्की की बोतल 500 रुपये से ज्यादा में मिल जाती है जबकि महाराष्ट्र में यही बोतल 700 रुपये से ज्यादा में मिलती है।
जिन और वोदका का जादू बोल रहा है सिर चढ़ कर
शराब की बिक्री के आंकड़ों पर गौर करें तो इस समय व्हाइट स्पिरिट की बिक्री तेजी से बढ़ी है। पिछले साल जहां व्हिस्की और ब्रांडी की बिक्री में 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई तो रम की बिक्री में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इससे उलट वोदका की बिक्री 25 फीसदी और जिन की बिक्री 65 फीसदी बढ़ी है। ये दोनों व्हाइट स्पिरिट हैं।

अब घर में कम, पब में ज्यादा पी रहे हैं लोग

कोरोना महामारी के दौरान घर में शराब की खपत में वृद्धि हुई थी। लेकिन बीते दो तिमाहियों में दो बार पब, बार और रेस्टोरेंट में शराब की बिक्री बढ़ी है। अब इसकी बिक्री प्री-कोविड लेवल पर पहुंच गई है। विनोद गिरी का कहना है कि पब या रेस्टोरेंट में जा कर शराब पीने के पीछे भी आमदनी बढ़ने का इकोनोमिक्स ही है। जब उनकी आमदनी कम थी तो घर में ला कर शराब पीते थे। जब आमदनी बढ़ी तो बार में पहुंच कर शराब का शौक पूरा करने लगे।