The Duniyadari: बीजापुर- छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों ने माओवादियों के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। माओवादियों द्वारा घोषित शहीदी सप्ताह के दौरान पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने अभियान चलाकर जंगलों में बने चार माओवादी स्मारकों को ध्वस्त कर दिया है।
यह कार्रवाई थाना जांगला क्षेत्र के कोटमेटा, इदेर और इंगुम के घने जंगलों में की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते दो दिनों से सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे माओवादी विरोधी अभियान में थाना जांगला और भैरमगढ़ पुलिस के साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की 214वीं बटालियन के जवान शामिल थे।
सुरक्षाबलों ने इंद्रावती नदी के किनारे स्थित तीन अलग-अलग स्थानों पर बने माओवादी स्मारकों को नष्ट किया, वहीं कोटमेटा गांव में स्थित एक और स्मारक को भी पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया। बताया गया है कि ये स्मारक माओवादियों द्वारा अपने मारे गए साथियों की याद में बनाए गए थे और इनका इस्तेमाल नक्सली विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए किया जाता था।
यही नहीं, इन स्थलों पर नक्सलियों द्वारा बनाए गए मंच, सभास्थल और प्रचार सामग्री भी बरामद की गई, जिसे सुरक्षा बलों ने मौके पर ही नष्ट कर दिया। बीजापुर जिले में माओवादियों के विरुद्ध चल रहे अभियान के तहत यह कार्रवाई बेहद अहम मानी जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम माओवादी प्रभाव को कमजोर करने और क्षेत्र में शांति एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास है।
“नक्सली विचारधारा पर सीधा प्रहार”
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि माओवादी स्मारक न सिर्फ हिंसा को महिमामंडित करते थे, बल्कि युवाओं को बरगलाने और संगठन से जोड़ने के लिए इनका उपयोग किया जाता था। इन स्मारकों को ध्वस्त करने से नक्सली प्रचार तंत्र को गहरी चोट पहुंची है। बीजापुर एसपी के अनुसार, “हमारा उद्देश्य केवल नक्सलियों को खदेड़ना नहीं, बल्कि उनकी सोच और प्रतीकों को भी खत्म करना है जो समाज को हिंसा की ओर धकेलते हैं। यह कार्रवाई उसी दिशा में एक मजबूत संदेश है।”
अभियान आगे भी जारी रहेगा सुरक्षा एजेंसियों ने संकेत दिए हैं कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। जिले के अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी माओवादी ठिकानों और स्मारकों की पहचान कर उन्हें खत्म करने की योजना बनाई जा रही है। इस कार्रवाई से क्षेत्र के ग्रामीणों में संतोष की भावना देखी जा रही है। लंबे समय से नक्सली गतिविधियों के कारण डर और असुरक्षा के माहौल में जी रहे ग्रामीणों को अब सुरक्षाबलों से उम्मीदें बंधी हैं। बीजापुर जिले में चल रही यह मुहिम न केवल सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह विकास के रास्ते में खड़ी सबसे बड़ी बाधा — नक्सलवाद — को कमजोर करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है।