भाजपा सरकार में भी उठते रहे है ऐसे बवाल ,, पर हर बार मतभेद दूर कर लिए गए
टी एस सिंह देव का इस्तीफा क्या हुआ छत्तीसगढ़ का शांत पड़ा राजनीतिक माहौल तूफानी हो गया है
इस्तीफे का कारण टी एस ने स्पष्ट कर ही दिया है पर क्या जो उन्होंने कारण बताया गया है,, क्या वही कारण है ?? जिसकी वजह से एक मंत्री ने अपना विभाग छोड़ दिया है ??? , या इस के पीछे कोई और वजह है?? क्या होगा इस्तीफे के बाद,, ?
यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब अभी आने बाकी हैं या फिर इनके जवाब राजनीतिक पर्दे के पीछे छुपे हुए हैं इसे ही आज हम डिकोड करने की कोशिश करेंगे,,,,
छत्तीसगढ़ में किसी मंत्री का अपने विभाग को छोड़ देने का ये प्रकरण पहला नही है ,, इसके अलावा भाजपा सरकार में करीब आधा दर्जन बार मंत्रिमंडल फेरबदल हुए हैं उस दौरान नाराजगी जैसी बातें कई बार सामने आए,, पर समय के साथ सब ठीक भी होता गया,,, आज में ऐसे सरकार से नाराजगी के प्रमुख प्रकरणों पर चर्चा करेंगे जिन्हें सुलझा लिया गया
पहला प्रकरण :-
जोगी सरकार को पटखनी दे कर नई नई भाजपा सरकार बनी थी और नए मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 2005 में 2 साल बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल किया तो विभागों के नए आबंटन में बृज मोहन अग्रवाल से गृह मंत्रालय लेकर नए विभाग दिए गए ,,,,जिसमें खाद्य विभाग भी शामिल था !!विभागों के इस आवंटन से बृजमोहन अग्रवाल खुश नहीं थे और उन्होंने खाद्य विभाग लेने से इनकार कर दिया था वजह बताते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने इस बात का जिक्र किया कि उनका पैतृक व्यवसाय खाद्यान्न का है ऐसे में वह विभाग की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते!! एक-दो दिन तक यह प्रकरण गरमाया रहा और उसके बाद खाद्य विभाग मुख्यमंत्री ने मेघा राम साहू को देखकर इस विवाद का पटाक्षेप किया कहा जाता है इसी बात के पीछे नेतृत्व से बृजमोहन अग्रवाल की नाराजगी भी एक वजह थी
दूसरा प्रकरण :-
दूसरा प्रकरण 2008 में सामने आया जब रमन सरकार की दूसरी पारी के दौरान कैबिनेट मंत्री अमर अग्रवाल मुख्यमंत्री से मतभेद की वजह से मंत्रिमंडल से अलग हो गए और उन्होंने वित्त वाणिज्य जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय छोड़कर इस्तीफा दे दिया बाद में 1 साल बाद ही अमर अग्रवाल की मंत्रिमंडल पर वापसी हो पाई,,, लेकिन इस पूरे प्रकरण के पीछे वजह मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और अमर अग्रवाल के बीच मतभेद था
इसके अलावा कई छोटे प्रकरण भी सामने आए जिसमें बद्री धर दीवान को मंत्री नहीं बनाया जाना
भाजपा सरकार के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह की नाराजगी
सरोज पांडे को मेयर से विधायक और विधायक से लोकसभा लोकसभा से राज्यसभा बनाए जाने के दौरान की घटनाएं हो,,
या फिर
आदिवासी नेता देवलाल दुग्गा की नाराजगी…
जैसे कई प्रकरण भाजपा सरकार को हिला देने वाले रहे पर मामले को भाजपा के ट्रबल शूटर हॉट डैमेज कंट्रोल टीम ने बेहतर ढंग से इन प्रकरणों को संभाला
तीसरा प्रकरण :-
कांग्रेस कार्यकाल में सामने आया यह पहला और बड़ा प्रकरण टी एस के विभाग छोड़े जाने का है
जय वीरू की दोस्ती में आई वह दरार से उपजे इस प्रकरण की शाखाएं लगातार बढ़ रही हैं टी एस पद छोड़ने के अपने इस फैसले के पीछे कारण बताते हुए म 4 पन्नों का एक पत्र भी जारी किया है इस पत्र का मजमून कुछ इस तरीके से है जिससे पता चलता है कि सरकार के कामकाज से शायद मंत्री टीएस संतुष्ट नहीं हैं ऐसे में उनके कुछ फैसलों पर उठाये गए कदम के बाद उनका पंचायत विभाग में काम करना करना मुश्किल हो गया था,,,, ऐसे में टी एस द्वारा अपने आप को पद से अलग करना सरकार से नाराजगी को दर्शाता है हालांकि अभी भी टी एस सिंह देव स्वास्थ्य और जीएसटी के जिम्मेदारी संभाले हुए हैं
पूर्व अनुभव देखें तो प्रकरण ऐसा प्रतीत नहीं होता इस मसले को भी सुलझाया नहीं जा सकता
बशर्ते अपने अहम और महत्वाकांक्षाओं को किनारे रख कर समस्या को देखना होगा,,,जैसा कि पहले के प्रकरणों में मतभेदों दूर करने के प्रयास देखने को मिले तो वैसे कदम उठाए जाने की जरूरत है ,, ऐसे में सबसे अहम भूमिका दूर बैठे आलाकमान की है देखना यह है कि आलाकमान के आंख नाक कान कहे जाने वाले लोग क्या तटस्थ भाव से इस प्रकरण को खत्म करेगे या मुद्दे को हैंडल करने की जैसा कि दस जनपथ वादियों की एक शैली सी बन गई है उसी ढर्रे पर इस प्रकरण को आधार बनाकर नेताओ के बीच दरार को बनाए रखने की बेकार की एक्सरसाइज की जाती है,,,,,,,,,(जारी)
मोहन तिवारी