पहले थानेदार हैं हनुमान, TI भी salute कर घुसते हैं थाने में

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विदिशा. पहले थाने नहीं थे, पुलिस नहीं थी, लेकिन पुलिस अधिकारी यानी थानेदार का क्या काम होता है, कैसे किया जाता है, कैसे बल और बुद्धि का प्रयोग कहां किया जाना है, यह सब सिखाया हनुमान जी ने ही। यही कारण है कि अधिकांश थानों में हनुमान जी का मंदिर होता जरूर है। टीआइ सहित तमाम पुलिसकर्मी थाने में अपनी उपिस्थत दर्ज कराने से पहले गाड़ी से उतरते ही पहले हनुमान जी की शरण में पहुंचते हैं, वहां सैल्यूट करते हैं और फिर बल-बुद्धि और विवेक से काम करने की प्रार्थना करके ही काम शुरू करते हैं। कोतवाली टीआइ आशुुतोष सिंह कहते हैं कि हनुमान शक्ति के प्रतीक माने जाते हैं और पुलिस का काम उनकी शक्ति के बिना संभव नहीं। इसलिए सबसे पहले उनसे ही प्रार्थना करके काम शुरू करते हैं। यही कारण है कि अधिकांश थानों में हनुमान जी का मंदिर मिलता है।

पुलिसिंग क्या है ये हनुमान जी ने ही सिखाया: पाटिल
रिटायर्ड डीएसपी अजीत पाटिल कहते हैं कि हनुमान जी के बिना पुलिसिंग हो ही नहीं सकती। वे शक्ति ही नहीं, बल और बुद्धि के प्रतीक भी हैं। पुलिस को इन सबकी बहुत जरूरत होती है। केवल शक्ति से ही नहीं बल्कि अपराधी को पकड़ने के लिए बुद्धि और विवेक की भी आवश्यकता होती है। पाटिल कहते हैं कि रामायण में हनुमान जी द्वारा सीता की खोज, सुरसा को झांसा देकर उसके मुंह से निकल आने, लंका में प्रवेश के लिए सूक्ष्म रूप धारण करने, विभीषण से मिलते समय भी वेष बदलने, राक्षसों को सजा देने और अपने कर्त्तव्य के प्रति सजग रहने का हर उदाहरण है। यह पुलिस को हर िस्थति से निपटने की सीख ही देता है। इसलिए थाने में हनुमान जी की प्रतिमा, मंदिर अधिकांश स्थानों पर होता है। पुलिस भी वही काम करती है जो हनुमान जी ने रामायण में किया है। अच्छे पुलिस अधिकारी भी हनुमान जी की कार्यशैली से ही पुलिसिंग सीखते हैं।