पांच पूर्व सीएम को आराम, भाजपा में नया दौर…चुनावी क्षेत्र के जो थे योद्धा, आज प्रचार रथ के सारथी….

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न्यूज डेस्क। पूर्व सीएम मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और भगत सिंह कोश्यारी एक दौर में भाजपा की सियासत के दो बड़े ध्रुव थे। कुछ समय बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक तीसरा ध्रुव बनें। भाजपा की राजनीति इन्हीं तीन ध्रुवों के बीच केंद्रित रही। वक्त बदला और भाजपा के तीन में से दो राजनीतिक दिग्गज खंडूड़ी और कोश्यारी का दौर जाता रहा।

लोकसभा चुनाव में पार्टी ने दो दिग्गज नेताओं डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर भाजपा ने संदेश साफ कर दिया कि पार्टी में अब नए दौर की शुरुआत हो गई है। चुनावी कुरुक्षेत्र के योद्धा रहे इन दोनों दिग्गजों की भूमिका आज पार्टी ने बदल दी है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उम्र के जिस पड़ाव में डॉ. निशंक और तीरथ हैं, उनके लिए खुद को शीर्ष पर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा। परिस्थितियां भी बदल गई हैं। संसदीय चुनाव में जिस दिग्विजयी रथ पर सवार होकर वे चुनावी राजनीति में नया मुहावरा गढ़ने की सोच रहे थे, उसी प्रचार रथ पर उन्हें सारथी की भूमिका निभानी पड़ रही है।

भाजपा में ऐसी घटना कोई पहली बार नहीं हुई। एक दौर में पूर्व सीएम मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और भगत सिंह कोश्यारी भाजपा की सियासत के दो बड़े ध्रुव थे। कुछ समय बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक तीसरा ध्रुव बनें। भाजपा की राजनीति इन्हीं तीन ध्रुवों के बीच केंद्रित रही। वक्त बदला और भाजपा के तीन में से दो राजनीतिक दिग्गज खंडूड़ी और कोश्यारी का दौर जाता रहा।

नई परिपाटी शुरू होने का बड़ा संकेत

 

आज ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्री अपनी आरामगाह तक सीमित हो गए हैं। जिस तरह से डॉ. निशंक और तीरथ सिंह रावत को आराम देकर पार्टी ने उनकी जगह हरिद्वार सीट से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और गढ़वाल सीट से अनिल बलूनी को उम्मीदवार बनाया, वह अपने-आप में भाजपा के भीतर नई परिपाटी शुरू होने का बड़ा संकेत दे रही है।

 

सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा में अब उम्रदराज नेताओं के लिए अपनी शीर्ष स्थिति बनाए रखना और एक बार नीचे खिसक जाने के बाद फिर से वापसी करना बहुत आसान नहीं होगा। त्रिवेंद्र सिंह रावत इसके उदाहरण हैं। सीएम की कुर्सी से उतरने के बाद उन्हें पार्टी ने कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी और लंबे इंतजार के बाद उन्हें लोकसभा का टिकट नसीब हुआ।

पांच पूर्व सीएम के पास अब कोई काम नहीं

भाजपा में इस समय छह पूर्व मुख्यमंत्री हैं और इनमें से पांच के पास संगठन का फिलहाल कोई बड़ा काम नहीं है। उम्रदराज मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी स्वास्थ्य कारणों से मुख्यधारा की राजनीति से काफी दूर हैं। पिछले कुछ वर्षों से उनकी कोई सक्रियता नहीं हैं। पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी भी आराम पर हैं। हालांकि, उनकी सामाजिक गतिविधियों में सक्रियता बनी है, लेकिन संगठन में उनकी भूमिका अब मार्गदर्शक की है। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा भी केवल पार्टी के कुछ प्रमुख कार्यक्रमों तक सीमित हैं। उनकी राजनीतिक सक्रियता का उत्तरदायित्व अब उनके सुपुत्र सौरभ बहुगुणा धामी कैबिनेट में निभा रहे हैं।

निशंक और तीरथ की अब भूमिका बदली

सियासी दिग्गज डॉ. निशंक और तीरथ सिंह रावत का अभी काफी राजनीतिक कॅरियर शेष है, लेकिन संगठन के भीतर वापसी करने के लिए उन्हें अब काफी पसीना बहाना होगा। दरअसल, बड़ा राजनीतिक दल होने के साथ ही भाजपा में दिग्गज चेहरों की भी एक बड़ी फौज इकट्ठा हुई है। ऐसे में संगठन में अपने पुराने रुतबे को हासिल करने के लिए उन्हें दूसरी पांत के संभावनाओं वाले नेताओं से भी प्रतिस्पर्धा करनी होगी।