The Duniyadari: रायपुर- राजधानी रायपुर में एक बात फिर स्थानीय प्रशासन और पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है।बता दे कि पीड़िता रेखा त्यागी और उनकी माता शारदा त्यागी ने पूर्व में मीडिया के समक्ष प्रेसवार्ता लेकर अपने साथ वर्षों से हो रहे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक अत्याचार का दर्द बयां किया था.
इसके बाद भी प्रशासन अपराधी पर शिकंजा कसने से कतरा रहा है। पीड़ित रेखा त्यागी ने आंखों में आंसू और स्वर में रोष के साथ आरोप लगाए कि उनकी शादी वर्ष 1999 में सुंदर नगर निवासी सूर्यकांत त्यागी से हुई थी, जिसके बाद से ही रेखा को नर्क समान ससुराल जीवन झेलना पड़ा।
शारदा त्यागी ने बताया कि विवाहोपरांत रेखा को पुत्र उत्पत्ति के दवाब में तीन बार जबरन गर्भपात के लिए मजबूर किया गया। चौथी बार जब भ्रूण परीक्षण में पुत्र की पुष्टि हुई, तो ‘मुहूर्त’ के नाम पर प्रसव में जानबूझकर देरी की गई, जिससे मृत शिशु का जन्म हुआ। यह एक सुनियोजित क्रूरता थी, जिससे रेखा का मातृत्व छीन लिया गया।
कमरे में बंद कर पीटा, जमीन हड़पी, फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का घोटाला
पीड़िता की माता शारदा त्यागी ने यह भी खुलासा किया कि रेखा और उसकी नाबालिग पुत्री को कई बार कमरे में बंद कर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। यही नहीं, रेखा की हक एवं अधिकार की ग्राम ज़ोरा में 6.5 एकड़ कृषि भूमि को कूटरचित दस्तावेजों के ज़रिए हड़प लिया गया और उस पर अवैध प्लॉटिंग कर शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया।
हरिसिंह की रहस्यमयी मौत और अमरनाथ त्यागी की दबंगई रेखा के चाचा ससुर हरिसिंह त्यागी ने जब स्थिति को समझते हुए उसे मेरठ भेजा, तो कुछ समय बाद अमरनाथ त्यागी ने उसे वापस रायपुर बुलाया। इसके कुछ ही समय में हरिसिंह त्यागी की रहस्यमयी मौत हो गई, जिस पर आज तक कोई जांच नहीं हुई। वहीं अमरनाथ त्यागी का रसूख ऐसा रहा कि तमाम शिकायतों के बावजूद तेलीबांधा थाना और अन्य विभागों ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
इस मामले में भारतीय संत सनातन धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष राहुल तिवारी ने ‘नारी सम्मान पर आघात’ बताते हुए कहा कि अमरनाथ त्यागी एवं सूर्यकांत त्यागी के विरुद्ध प्रशासन को तत्काल अपराध दर्ज कर गिरफ्तार करना चाहिए। श्री तिवारी ने कहा कि रेखा को उसके अधिकार स्वरूप वसीयत में मिली भूमि शीघ्र वापस दिलाई जाए, अन्यथा यह मामला राजधानी के लिए कलंक बन जाएगा। मांग पूरी नहीं होने पर तिवारी ने उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी।
प्रशासन की चुप्पी – क्या रसूख के आगे कानून बौना पड़ गया है?
इस समूचे प्रकरण में सबसे शर्मनाक तथ्य यह है कि स्पष्ट साक्ष्यों, बार-बार की गई शिकायतों और सार्वजनिक मंच से उठी आवाज़ के बावजूद प्रशासन और पुलिस ने चुप्पी साध रखी है। क्या यह माना जाए कि अमरनाथ त्यागी का रसूख कानून के शासन से भी ऊपर हो गया है? पूरे मामले को लेकर शारदा त्यागी,रेखा त्यागी ने संघ के अध्यक्ष राहुल तिवारी के नेतृत्व में एसएसपी रायपुर लाल उमेद सिंह से मुलाकात कर उचित कार्यवाही करने की मांग की है। अब देखना यह है कि क्या पुलिस-प्रशासन नींद से जागेगा या रेखा त्यागी न्याय के लिए दर-दर भटकती रहेगी।