पुलिस ने बंटी-बबली गैंग का भंडाफोड़ करते हुए दो सब-इंस्पेक्टरों को किया गिरफ्तार

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The Duniyadari: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक हाई-प्रोफाइल और सनसनीखेज गिरफ्तारी ने पूरे पुलिस महकमे को चौंका दिया है। दिल्ली पुलिस की एक टीम ने सावर रोड स्थित एमरल्ड सिटी कॉलोनी में छापेमारी कर साइबर ठगी के गंभीर मामलों में फरार चल रहे दो पुलिस उपनिरीक्षकों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों को पुलिस विभाग में ‘बंटी-बबली’ की संज्ञा दी जा रही है।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सब-इंस्पेक्टर अंकुर मालिक और महिला सब-इंस्पेक्टर नेहा पुनिया शामिल हैं, जो दिल्ली पुलिस के विभिन्न थानों में तैनात थे। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 2023-24 के बीच तीन अलग-अलग साइबर ठगी मामलों में जब्त की गई ₹2 करोड़ से अधिक की रकम को अदालत से फर्जी दस्तावेजों के जरिए छुड़वाकर अपने परिचितों के बैंक खातों में ट्रांसफर किया और बाद में फरार हो गए।

जानकारी के अनुसार, अंकुर मालिक उस समय नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के साइबर थाने में पदस्थ थे और नेहा पुनिया शाहदरा जिले में कार्यरत थीं। साइबर अपराध के जिन मामलों की जांच इनके पास थी, उनमें जब्त की गई राशि अदालत में जमा थी।

दोनों ने मिलीभगत कर फर्जी शिकायतकर्ताओं के नाम पर अदालत में आवेदन दिए और जमानत/रिलीज आदेश प्राप्त कर वह राशि बाहर निकाल ली। पुलिस जांच में सामने आया कि इन्होंने इस राशि को दिल्ली के ही तीन अन्य व्यक्तियों – मोहम्मद इलियास (40), आरिफ (35) और शादाब (23) – के बैंक खातों में ट्रांसफर किया था। इन तीनों को दिल्ली से गिरफ्तार कर पूछताछ की गई, जिससे बड़ा खुलासा हुआ।

पूछताछ में पता चला कि दोनों आरोपियों ने ठगी से प्राप्त रकम का उपयोग देश के कई पर्यटन स्थलों – गोवा, मनाली और कश्मीर – में आलीशान छुट्टियां मनाने में किया। यही नहीं, दोनों ने बड़ी मात्रा में नकदी को 1.2 किलोग्राम सोने में तब्दील कर सुरक्षित रखने की योजना बनाई।

यह सोना करीब ₹1 करोड़ की कीमत का बताया जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस की टीम ने इनसे ₹12 लाख नकद, 11 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप और 3 एटीएम कार्ड भी बरामद किए हैं। गिरफ्तारी के समय दोनों नकली नामों और फर्जी दस्तावेजों के साथ इंदौर में स्थायी रूप से बसने की योजना बना रहे थे।

दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को इन दोनों की गतिविधियों पर संदेह तब हुआ जब साइबर क्राइम के केसों से संबंधित राशि अचानक गलत खातों में जाने की जानकारी मिली। जांच में इन खातों की जानकारी जुटाई गई और टेक्निकल सर्विलांस के जरिए इनकी लोकेशन इंदौर में ट्रेस की गई।

लगातार चार महीने की खोजबीन और गुप्त सूचना के बाद, दिल्ली पुलिस ने स्थानीय पुलिस की मदद से एमरल्ड सिटी, सावर रोड, इंदौर में इनका ठिकाना ढूंढ निकाला। छापेमारी के दौरान दोनों को मौके से गिरफ्तार किया गया।

दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह मामला विभाग के लिए शर्मनाक है, लेकिन हमने साबित किया कि कानून से कोई ऊपर नहीं है, चाहे वह खुद पुलिसकर्मी ही क्यों न हो।” उन्होंने कहा कि दोनों आरोपियों को दिल्ली लाकर पूछताछ की जा रही है और उनके खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसी धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस इन दोनों उपनिरीक्षकों के खिलाफ विभागीय बर्खास्तगी की कार्रवाई भी प्रारंभ कर चुकी है।

इनके खिलाफ भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और सेवा शर्तों के उल्लंघन की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी। समाज में पुलिस की साख पर सवाल यह मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। जब जांच की जिम्मेदारी निभाने वाले ही अपराध में संलिप्त हो जाएं, तो आम जनता का भरोसा पुलिस पर कैसे बना रहेगा – यह चिंता का विषय बन गया है।

फिलहाल अंकुर मालिक और नेहा पुनिया को न्यायिक रिमांड पर दिल्ली लाया गया है, जहां उनसे रकम की पूरी जानकारी और उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य सहयोगियों के बारे में पूछताछ की जा रही है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या अन्य मामलों में भी उन्होंने इसी तरह कोर्ट से राशि रिलीज करवाई है।