रायपुर।फिल्मों ने हमेशा से ही बड़ा असर हमारे समाज पर डाला है लेकिन बदली परिस्थितियों में फिल्मों का इस्तेमाल राजनीतिक हित साधने के लिए भी किया जाने लगा है दक्षिण में यह प्रयोग सालों तक चलता रहा और इसी का नतीजा है कि फिल्में राजनीतिक विचारधारा स्थापित करने के साथ-साथ अभिनेताओं को राजनीति में स्थापित करने में सफल रही हैं, अब यह ट्रेंड साउथ से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर भी हमें अलग-अलग एजेंडा आधारित फिल्मों के जरिए गाहे-बगाहे दिख जा रही है,, इससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं हैं और चुनाव के पहले कुछ ऐसी फिल्में हमें देखने को मिलेगी,, जो कि राजनीतिक रूप से इन लोगों के परसेप्शन पर असर डाल सकती है अभी तक छत्तीसगढ़ में फिल्मों के जरिए जनमानस को छूने या बदलने की बड़ी कोशिश दिखाई नहीं दी थी! लेकिन जो हमें जानकारी है अब ऐसी फिल्में आने शुरू हो चुकी हैं जो कि चुनाव के पहले लोगों के बीच होंगी ,,, जिसमें पहली फिल्म होगी बालक दास की शौर्य कथा,,
दूसरी फिल्म अजीत जोगी
और
तीसरी फिल्म है महेंद्र कर्मा
एक एक कर तीनो फिल्म की कहानी और उसकी पेशकश के पीछे के राजनीतिक मकसद पर हम बात करेंगे,,,, पहले बात करते है सतनामी समाज के धर्मगुरु गुरु घासीदास बाबा के पुत्र बालक दास की जीवन पर आधारित शौर्य कथा की वाली फिल्म,,,,बालकदास!!!! जैसा कि नाम से प्रतीत होता है कि गुरु घासीदास बाबा के दूसरे पुत्र ने अपने कामों के जरिए जो लोकप्रियता हासिल की उसे इस फिल्म के जरिए बताने की कोशिश है फिल्म की लॉन्चिंग सतनामी समाज धर्म गुरु ,गुरु घासीदास बाबा के वंशज मंत्री रूद्र गुरु ने की थी फ़िल्म उन्हीं के पुरखों के जीवन पर केंद्रित है इस लिए फ़िल्म से वो सीधे जुड़े हुए है इस फिल्म में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आदिवासी समाज के प्रमुख योद्धा रहे शहीद वीर नारायण का भी रोल है इस फिल्म में शहीद वीर नारायण और धर्मगुरु बालक दास बाबा की मित्रता का वर्णन भी है सतनामी समाज और आदिवासी समाज के लिए फिल्म प्रेरणादाई हो इस मकसद से दोनों ही वर्गों के प्रमुखों से जुड़ी कहानी को चित्रित करने की कोशिश है फ़िल्म सतनामी समाज और आदिवासी समाज की मान्यताओं परंपराओं कथा के साथ उन की आकांक्षाओं को ध्यान में दर्शकों के सामने पेश करने की कोशिश है कांग्रेस के दो प्रमुख मंत्री इस फिल्म में हमें दिख सकते हैं मंत्री रुद्र गुरु मेहमान कलाकार की भूमिका निभाएंगे वही खाद्य मंत्री अमरजीत भगत वीर नारायण सिंह की भूमिका में नज़र आयेंगे,,
फिल्म सीधे तौर पर स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान उपजी छ ग मुख्य संघर्ष गाथा में से एक है स्वर्गीय गुरु बालक दास का सतनामी समाज विशेष पर गहरा असर पहले ही है अब इस फिल्म के जरिए उनके अंग्रेजों से संघर्ष और सर्वजन कल्याण के आदर्शों को लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी इसमें आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन पर वीर नारायण के दोस्ती के चित्रण वाले एंगल को अगर मैं राजनीति चश्मे से देखूं तो छ ग की 14% और 32% कुंल 46% वोट पर असर डालने वाली ये फ़िल्म होगी,,,, इस फिल्म से दो बड़े राजनेताओं के जुड़े होने के कारण इस राजनीतिक रूप से इस बात को बल मिलता है
दूसरी फिल्म अजीत जोगी की जीवन पर आधारित फिल्म है हालांकि कई बड़े नेताओं के जीवन चरित्र पर फिल्में बनी हैं पर यह छत्तीसगढ़ में किसी छत्तीसगढ़ के बड़े नेता की जीवनी पर आधारित फिल्म होगी इस पर फिलहाल काम चल रहा है लेकिन इस फिल्म के जरिये अजीत जोगी के प्रति ग्रामीण आदिवासी और सतनामी समाज के वोटरों के लगाव को एक बार फिर जगाने की कोशिश होगी,,,,,
हालांकि बस्तर टाइगर के नाम से प्रसिद्ध कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा के नाम फिल्म बनाए जाने की तैयारी की गई है पर यह भी काफी प्रारंभिक अवस्था में है पर आप समझ सकते हैं बस्तर में सिनेमा को लेकर इतनी दीवानगी नहीं है इसके बावजूद फिल्म के असर से बस्तर अछूता रहे ऐसा नही हो सकता,,,
कुल मिलाकर फिल्मों के जरिए राजनीति बदलने की शुरुआत दक्षिण से आगे बढ़ चुकी है राष्ट्रीय स्तर पर पहल के बाद कई प्रदेश इस प्रयोग से गुजर रहे हैं जिसमे छत्तीसगढ़ भी है इस चुनाव में हमे ये फिल्मी रंग भी छ ग में देखने को मिलेगा,, लेखक ( मोहन तिवारी ) रायपुर में रहते है।