बिलासपुर- फेस्टिवल और इलेक्शन। साथ में आने की तैयारी कर रहे हैं वह ध्वनि विस्तारक यंत्र, जो आपके कानों तक तेज आवाज के साथ पहुंचने की ताकत रखते हैं। हैं रोक लगाने वाली एजेंसियां लेकिन शुरुआत तो दूर तैयार तक दिखाई नहीं देती क्योंकि साउंड सिस्टम के साथ देर रात तक अभ्यास का सिलसिला चालू हो चुका है।
तैयार रहिए, ध्वनि प्रदूषण से सामना करने के लिए क्योंकि पर्व, त्यौहार और चुनाव के दिन करीब आ चुके हैं। खूब बजेंगे साउंड सिस्टम, भक्ति रस से भरे भजनों के साथ। समय-बेसमय निकलने वाले विभिन्न प्रचार माध्यमों को भी सुनना होगा। शांत रहकर बचाव के उपाय खोजने होंगे क्योंकि रोक लगाने वाले दूर-दूर तक नजर नहीं आएंगे।
इसके लिए रिहर्सल
गणेश और दुर्गा पूजा। डीजे यंत्र की जांच और ऐसे भजन की खोज पूर्णता की ओर है, जिनकी आवाज और धुन, दूर तक जाती है। पुराने गीतों का नया वर्जन भी खोजा जा चुका है, जो इस दौर में भी पसंद किए जाते हैं। तैयार होता यह क्षेत्र, ऐसे समय में अभ्यास कर रहा है, जब आराम करने का वक्त होता है।
बढ़ा रहे संपर्क
ठीक पीछे आ रहे हैं चुनाव। कमाई का मौका है इसलिए राजनीतिक दलों के साथ संभावित प्रत्याशियों और समर्थकों से संपर्क साधा जा रहा है। नए सिस्टम की जानकारी दी जा रही है। वाहन के साथ दरों की जानकारी भी साझा की जा रही है। ज्यादा समय मिलने की स्थिति में चार्ज कम करने की भी बातें रखी जा रही हैं।
क्या हैं नियम
मानव, मवेशी और जीव-जंतुओं पर तो यह स्थिति प्रभाव डालती ही है, साथ ही पेड़-पौधों पर भी गंभीर असर डालता है ध्वनि प्रदूषण। रोकथाम के लिए जो नियम हैं, उसके अनुसार रिहाईशी क्षेत्र में स्वर का स्तर 45 डेसिबल से नीचे रखना होगा। आराम करने वाली जगह पर 35 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कार्य क्षेत्र यानी ऑफिस एरिया में 55 डेसिबल तय किया गया है। इसमें कार्य समय का ध्यान रखना अनिवार्य होगा।