बच्चा पैदा नहीं हुआ और हो गया नामकरण,वो भी क्या दिन थे जब ड्यूटी का इनाम लाइन अटैच नहीं…खैरागढ़ में ‘पुष्पा’,निगम के बजट में लॉलीपॉप…

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बच्चा पैदा नहीं हुआ और हो गया नामकरण,

नेतागिरी भी कमाल की चीज है श्रेय लेने की होड़ और जनता को सपना बेचना इन्हें बखूबी आता है। तभी तो कोरबा मेडिकल कॉलेज को विधिवत मान्यता अभी मिली भी नहीं और नेताओं ने उसका नामकरण कर वाहवाही लूट ली। खैर वादे और इरादे का क्या इसे पब्लिक भी भलीभांति जानती है। कोरबा की जनता तो नेताओं के भाषण और शासन नाराज होकर एक स्वर में कहने लगी है मेडिकल कालेज का नामकरण मतलब.. बच्चा पैदा हुआ नहीं और चले नामकरण करने !

जानकारों की माने तो जिले में अब तक मेडिकल कॉलेज वैधानिक तरीके से मान्यता भी नहीं मिली है और पिछले दिनों जिले के कद्दावर आदिवासी नेता के नाम पर कॉलेज का नामकरण कर आदिवासी समाज के वोटरों को तो साध लिए! लेकिन, यह भी बात है कि अभी चुनाव दूर है और समीकरण बनना बिगड़ना तो चलता रहेगा।

वो भी क्या दिन थे जब ड्यूटी का इनाम लाइन अटैच नहीं…

74 के दशक में अविभाजित मध्यप्रदेश में एक मुख्य सचिव को मछली पकड़े का शौक था। वे रात 10 बजे फिसिंग गेयर लेकर तालाब में मछली पकड़ रहे थे। बस फिर क्या था एक ईमानदार टाइप के आरक्षक की नजर रात को तालाब में मछली पकड़ने बैठे मुख्य सचिव पर पड़ी और गाड़ी थाना चलने की बात कहने लगे । साहब कहते रहे है कि मैं मुख्य सचिव हूँ , पर आरक्षक ने एक न सुनी और कहा अच्छा मुख्य सचिव चलो मैं दिखता हूँ क्या होता है मुख्य… और पकड़कर थाना ले आये।

थाना में थानेदार ने जब साहब को देखा तो तोते उड़ गए इस बात की चर्चा सूबे में खूब। आखिरकार ईमानदारी से ड्यूटी करने वाले आरक्षक को इनाम देकर प्रमोशन दिया गया था, लेकिन ऊर्जानगरी में तो उल्टी गंगा ही बह रही। सूबे के एक संसदीय सचिव के रिश्तेदारों की गाड़ी को रोककर पूछताछ करने वाले आरक्षक को इनाम तो छोड़िये जनाब उन्हें लाइन भेजने की अफवाह उड़ रही। लाइन अटैच का मामला पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।

आ रहे हैं भगवाधारी राजतिलक की करो … सेकुलरिज्म के सड़े चेहरे आयोजन से रहे दूर

हाथ में झंडा और केसरिया गमछा के साथ लगे जय श्री राम के नारे तो शहर से लेकर गांव चर्चा तो होनी ही है।सबका अपना नजरिया है हिन्दू नववर्ष में निकली शोभायात्रा और लोगों के हुजूम ने कई तरह के सवाल छोड़ दिये हैं।

राईट बन्धू ने 1901 में हवाई जहाज का आविष्कार किया ये हमारे दिमाग में भरा गया लेकिन “विमान” रामायण काल में हमारे देश में था। परिचित से यह हमें नहीं बताया बल्कि हम जानते थे लेकिन, बहुत दिनों यही मानते रहे कि विमान का आविष्कार राईट बन्धू ने किया है।

वास्तव में विमान का निर्माण सतयुग में हो चुका था लेकिन दुर्भाग्य यह है कि जैसे लिबरल सर्जिकल स्ट्राईक का सबूत मांगते हैं वैसे ही ये तथाकथित सेकुलरिज्म के ठेकेदार राम को भी कल्पना अथवा कथानक चरित्र मानते हैं। यही नहीं हमारे सिद्धान्त मान्यताओं को मजाक बनाकर इनके द्वारा ऐसा प्रचारित किया गया कि हम सनातनी होकर भी सनातन की धरोहर और अपने ही नायकों पर शक करने लगे।

अब युवा वर्ग जिस अन्दाज में सेकुलरिज्म के सड़े हुए नकाब को उतारकर अपने धर्म, संस्कृति के प्रति जागरूक हुआ है उससे तो लगता है आने वाला कल में विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति का बोध सुनहरे अक्षरों में दुनिया को कराया जाएगा।

ऐसा कोरबा में यह पहली बार हुआ था कि रैली में शामिल लोगों का जोश और उत्साह जैसे जैसे शाम ढली वैसे वैसे बढ़ता गया। शाम लगभग 3 बजे से चालू हुई महारैली का का रैला 12 बजे तक बना रहा। लड़कियों, महिलाओं ने भी इसमें अपनी सहभागिता निभाई। युवाओं को अब समझ आ गया है कि अंग्रेजों का 2022 कैलेंडर जिसकी शुरुआत ही दारु-मुर्गे के साथ होती है वह कैलेंडर सनातन विक्रम संवत 2079 के आगे बौना है। क्योंकि, हिंदू नववर्ष का स्वागत पुरुषों के साथ पूजन और आस्था के साथ महिलाओं, बच्चों के द्वारा भी किया जाता है।
सेकुलरिज्म के ठेकेदारों के मुंह पर आयोजकों के सफल आयोजन ने ताला जड़ दिया है। जड़े हुए ताले फिर भी घरघराहट के साथ कह रहे हैं कि ” हुड़दंग कुछ लोग कर रहे थे। ”
इस बात पर रैली में शामिल एक शोरूम के संचालक बोल पड़े – “अरे भाई कर रहे थे तो आप तो अच्छे आदमी हो क्यों नहीं शामिल हुए, शायद आपके सेकुलरिज्म का सड़ा हुआ चेहरा देखकर हुड़दंग करने वाले ठंडे हो जाते।” राजनीतिक पार्टियां तो युवाओं को साधने अब लोग लुभावन पैकेज बनाने का सपना संजो रहे हैं ताकि, चुनावी बैतरणी को युवा के भरोसे  पार लगाया जा सके। हिंदू नववर्ष के अवसर पर ऐतिहासिक शोभायात्रा ने पूरे शहर में उत्सव व जोश का माहौल पैदा कर दिया। शहर के सभी चौक-चौराहों और सड़कों को केसरिया झंडों, भगवा फर्रियों से सजाया गया था।

निगम के बजट में लॉलीपॉप

वैसे तो लालीपॉप बड़े कमाल की चीज है रूठे बच्चे को अगर चुप करना हो तो ये खासा कारगर होता है। निगम के बजट में भी विपक्षी नेताओं ने लॉलीपॉप लेकर भी मेयर और सत्ता पक्ष के नेताओं को देकर शहर विकास के दावे की पोल खोल दी। राजनीतिक पंडितों की माने तो भाजपा पार्षदों का लॉलीपॉप देना सही है क्योकि सत्ता पक्ष के मेयर सिर्फ और सिर्फ बोल बच्चन बनकर रह गए हैं। अब देखिये न नया टीपी नगर बनाने की घोषणा पूर्व मेयर के कार्यकाल में हो गई थी और लागत 37 करोड़ रूपए आंकी गई थी। अब एक फिर जब नया टीपी नगर का जिन्न बोतल से निकला तो उसकी लागत 50 करोड़ हो गई है, और तो और इस मेयर के कार्यकाल को देखा जाये तो सिवाय भूमिपूजन और लोकार्पण के कुछ नहीं है। अब इसका ये मतलब नहीं है कि काम हो रहा है तभी तो भूमिपूजन और लोकार्पण हो रहा है। हम बेसिक काम की बात कर रहे हैं जो एक कुशल नेतृत्वकर्ता में होना चाहिए। रोड, नाली और गार्डन तो हर नगर सरकार बनाती है। खैर कुछ भी हो विपक्षी नेताओं का लालीपॉप हिट हो गया है।

खैरागढ़ में ‘पुष्पा’

प्रदेश में खैरागढ़ का उप चुनाव का क्या हुआ सूबे में पुष्पा फिल्म हिट को गई। अभी नतीजे भी नहीं आए है और मुख्यमंत्री ने खैरागढ़ को जिला बनाने का ऐलान कर दिया। वो भी जिस अंदाज में किया वो कहीं कहीं पुष्पा वाले अंदाज से मेल खाता है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कांग्रेस सरकार के विकास माडल और नीति को घेरने ही वाले थे कि भूपेश कका ने एक ही बार में पूरे बीजेपी की बोलती बंद कर दी।

ट्वीटर पर पुष्पा वाले अंदाज में भूपेश बघेल ने कहा कि… डॉक्टर साहब! आप शायद भूल रहे हैं कि ये “नवा छत्तीसगढ़” है जो “झुकेगा नहीं..रुकेगा नहीं”। बात यहां तो ठीक थी अब सीएम के पुष्पा अवतार पर कांग्रेसी भी कहने लगे हैं खैरागढ़ में जीतेंगे तो हम ही……कका हैं तो भरोसा है…। हांलाकि इससे पहले खैरागढ़ में सरकार के कई मंत्री पसीना बहा बहा कर हांफने लगे थे। कका के पुष्पा अवतार सामने आने से एक आदिवासी मंत्री तो इतने खुश हो गए कि वो शराबबंदी की बात भूल कर खुद ही मांदर के साथ झूमने लगे।

                 अनिल द्विवेदी, ईश्वर चन्द्रा